Lok Sabha: संसद का मानसून सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया और इस दौरान मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण लगातार गतिरोध बना रहा। इसके कारण लोकसभा की उत्पादकता जहां महज 31 घंटे प्रतिशत रही वहीं राज्यसभा में यह 39 फीसदी रही।
लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मानसून सत्र के दौरान कार्यवाही में गतिरोध बनाए रखने पर विपक्षी दलों के प्रति निराशा प्रकट करते हुए कहा कि नियोजित तरीके से सदन के कामकाज में व्यवधान पैदा किया गया जो लोकतंत्र और सदन की मर्यादा के अनुरूप नहीं है।
इसी प्रकार राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश ने सत्र के दौरान लगातार बने गतिरोध पर निराशा जताते हुए कहा, ‘‘सूचीबद्ध कार्यों पर सार्थक और सुचारू चर्चा सुनिश्चित करने के आसन के भरसक प्रयासों के बावजूद, यह सत्र दुर्भाग्यवश बार-बार व्यवधानों के कारण बाधित रहा, जिसके परिणामस्वरूप बार-बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इससे न केवल बहुमूल्य संसदीय समय की हानि हुई, बल्कि हमें लोक महत्व के कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर भी नहीं मिला।’’
मानसून सत्र के दौरान कामकाज के लिए 120 घंटे उपलब्ध थे किंतु इस दौरान लोकसभा में केवल 37 घंटे और राज्यसभा में मात्र 41 घंटे 15 मिनट कामकाज हो पाया। सत्र के दौरान दोनों सदनों में कुल 15 विधेयक पारित किए गये। इस दौरान सरकार ने लोकसभा में कुल 14 विधेयक पेश किए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के भारी हंगामे के बीच बुधवार को ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए। इनमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किए जाने और लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहने पर पद से हटाए जाने का प्रावधान है। लोकसभा में जब गृह मंत्री इन तीनों विधेयकों को पेश कर रहे थे, उस समय विपक्ष के कुछ सदस्यों को उनके सामने कुछ कागज फाड़कर फेंकते देखा गया।
सरकार ने इन तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव किया, जिसे दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी। सत्र के दौरान दोनों सदनों में अनुसूचित जनजातियों के विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्समायोजन से संबंधित गोवा विधेयक 2025, मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2025, मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025, मणिपुर विनियोग (संख्या 2) विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक 2025 पारित किए गए। इनके अलावा आयकर विधेयक 2025, कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025, खनिज और खनिज विकास (विनियमन और संशोधन) विधेयक 2025, भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025 और ऑनलाइन खेल संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 भी हंगामे के बीच दोनों सदनों में पारित किए गए।
सत्र के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में दोनों सदनों में विशेष चर्चा हुई। लोकसभा में इस चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। लोकसभा में इस चर्चा में 73 सदस्यों और राज्यसभा में 65 सदस्यों ने भाग लिया। सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देर शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया था, जिसे बाद में स्वीकार कर लिया गया।
कांग्रेस सहित विपक्ष के सदस्य दोनों सदनों में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर लगातार हंगामा और नारेबाजी करते रहे। दोनों सदनों में आसन ने मामले के न्यायालय में विचाराधीन होने की बात की और इस विषय पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गयी। सत्र के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष के कमरे में जाकर दोनों पक्ष के नेता आपस में मिलते और अनौपचारिक बातचीत करते हैं।
सूत्रों के अनुसार इस बार लोकसभा अध्यक्ष के कक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई केंद्रीय मंत्री तथा सत्ता पक्ष के नेता तो गये किंतु दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष एवं अन्य कोई प्रमुख विपक्षी नेता वहां नहीं गया। हंगामे के कारण दोनों सदनों में एक भी दिन प्रश्नकाल एवं शून्यकाल सामान्य तरीके से नहीं चल पाया। सत्र में एक भी दिन किसी सदन में गैर सरकारी कामकाज नहीं हुआ। मानसून सत्र की शुरूआत 21 जुलाई को हुई और इस दौरान कुल 21 बैठकें हुई।