Kerala: केरल में आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी मुसीबत बनती जा रही है। बीते सात साल में राज्य में कुत्तों के काटने के मामले दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं।
राज्य विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, केरल में कुत्तों के काटने के मामलों में 100 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। 2017 के आंकड़ों के मुकाबले में 2024 में कुत्ते के काटने के 3 लाख16 हजार मामले सामने आए हैं। रेबीज़ से हुई मौत की बात करें तो 2017 में सिर्फ आठ लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2024 में ये आंकड़ा 26 पहुंच गया है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के इंटीग्रेटेड रोग निगरानी कार्यक्रम के मुताबिक इस साल जनवरी में ही कुत्तों के काटने के 11,649 मामले सामने आए हैं।
अभी पिछले रविवार को ही राजधानी तिरुवनंतपुरम के सस्थमंगलम और कौडियार इलाकों में एक संदिग्ध पागल कुत्ते ने कथित तौर पर 30 से ज्यादा लोगों को काट लिया। हालांकि नगर निगम ने कुत्ते को पकड़ लिया, लेकिन इस घटना के बाद लोग दहशत में हैं। राज्य में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) के लिए टीकाकरण कार्यक्रम चल रहे हैं। लेकिन फंड और रसद संबंधी दिक्कतों से बड़े पैमाने पर इसे लागू में अड़चन आ रही हैं।
आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को देखते हुए पशुपालन विभाग ने अलग से व्यवस्था की है। जिसके तहत आवारा कुत्तों का रजिस्ट्रेशन करने के साथ उनकी ट्रैकिंग की जाएगी। इन तमाम सरकारी प्रयासों के बीच जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वो आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
उनका आरोप है कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से और ज्यादा कुत्ते इकट्ठा होते हैं, जिससे पब्लिक सेफ्टी का खतरा बढ़ जाता है। उधर, तिरुवनंतपुरम के एक एनजीओ- पीपल फॉर एनिमल्स का कहना है कि वो बीमार और वृद्ध कुत्तों को बचाते हैं और उनका पुनर्वास करते हैं। साथ ही रेबीज वाले संदिग्ध कुत्तों को अलग रखा जाता है।
मुद्दा गंभीर है, बावजूद इसके डॉग लवर इसका विरोध कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों का ये मानना है कि कुत्तों के जन्म पर रोक लगाने से इस समस्या पर काफी हद तक पार पाया जा सकता है।
मंत्री बी. राजेश ने बताया कि “केरल एक घनी आबादी वाला राज्य है। यहां जमीन कम है।लोग हमें यहां एबीसी केंद्र स्थापित करने की अनुमति भी नहीं दे रहे हैं। तो हम बड़े शेल्टर कैसे बना सकते हैं। इसलिए ये व्यावहारिक नहीं है। आगे बढ़ने का एकमात्र व्यावहारिक तरीका एबीसी नियमों में ढील देना और ज्यादा एबीसी केंद्र स्थापित करना है। टीकाकरण अभियान चल रहा है। इन सभी कठिनाइयों के बावजूद हमने 15 एबीसी केंद्र स्थापित किए हैं और 30 से ज्यादा एबीसी केंद्र जल्द ही खुलेंगे।”
इसके साथ ही पशुपालन मंत्री चिंचू रानी ने कहा कि “केरल में लगभग पैतीस लाख आवारा कुत्ते हैं। अब हम उन सभी को पंजीकृत करने की व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। भले ही बीच में ये प्रक्रिया थोड़ी धीमी रही हो लेकिन अब हम कुछ ठोस निर्णय ले रहे हैं और नसबंदी किए गए कुत्तों को ला रहे हैं, उन्हें चिह्नित कर रहे हैं और उन्हें पंजीकृत करने के लिए कदम उठा रहे हैं। हम (पशुपालन विभाग) डॉक्टरों की सुविधाएं भी दे रहे हैं। वो उन्हें टीके लगाएंगे और नसबंदी करेंगे। हमने सभी जरूरी टीकों का स्टॉक कर लिया हैं। हमारी तैयारी पूरी है।”
वही स्थानीय निवासियों का कहना है कि “कुत्तों का आतंक एक गंभीर समस्या है। कल एक पागल कुत्ता इलाके में आया और सुबह सैर पर निकले दो लोगों को काट लिया। बताया गया है कि उसी कुत्ते ने करीब 36 लोगों को काटा है। इसने कुछ पालतू कुत्तों और गली के कुछ दूसरे कुत्तों पर भी हमला किया है। नगर निगम के लोग आते हैं और इलाके का एक छोटा सा चक्कर लगाते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वो कुत्तों को नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं। ये कुत्ते हर गली-मोहल्ले में छिप जाते हैं। ऐसे में बस इधर-उधर जांच करना किसी काम का नहीं है।”