Gold: सोने की कीमत अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। इस सप्ताह 99.9 फीसदी शुद्ध या 24 कैरेट सोने की कीमत 98,500 रुपये प्रति 10 ग्राम, जबकि 99.5 फीसदी शुद्ध या 22 कैरेट सोने की कीमत करीब 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है। सोने की कीमत में अभूतपूर्व बढ़ोतरी से मध्यम और छोटे गहना व्यापारी परेशान हैं। कई लोगों ने 20 फीसदी से ज्यादा नुकसान होने का दावा किया है।
वैश्विक अनिश्चितता के चलते सोने की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका-चीन व्यापारिक कशमकश से सप्लाई चेन में रुकावट आ रही है और महंगाई और मंदी की आशंका बढ़ रही है। इन जोखिमों की वजह से सोने को भरोसेमंद निवेश के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि कीमत में बढ़ोतरी ने छोटे खरीदारों की परेशानी पर बल ला दिए हैं।
छोटे और पारंपरिक स्वर्णकारों की हालत और खराब है। अय्यप्पन जैसे कई गहने बनाने वाले पहले से बड़े आभूषण स्टोरों की बढ़ती संख्या की मार झेल रहे थे। उनके लिए मूल्य बढ़ोतरी दोहरी मार है। सोने के व्यापारियों का मानना है कि कीमतें अभी और बढ़ेंगी। लिहाजा ये समय सोने में निवेश करने का अच्छा मौका है। लेकिन छोटे और मध्यम वर्ग के लिए खरीदारी कितनी मुमकिन है, ये ऐसा सवाल है जिसका जवाब मिलना लगभग नामुमकिन है।
ज्वैलरस ने कहा, “व्यापार के मामले में मध्यम और छोटे ज्वैलर्स सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। ये वैसा ही है जैसे बड़े मॉल ने छोटी दुकानों के व्यापार को प्रभावित किया हो। लोग मॉल जाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां पार्किंग और एक ही जगह पर कई दुकानें जैसी सुविधाएं हैं। लोग ये नहीं सोचते कि कितना खर्च होगा, बल्कि इस बात में रुचि रखते हैं कि उन्हें खर्च की जा रही राशि के लिए कितना मिलेगा। इसलिए सीमित स्टॉक वाला छोटा या मध्यम श्रेणी के ज्वैलर के कारोबार पर तेज असर पड़ रहा है।”
“ज्वैलर्स इसे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से देख सकते हैं। सकारात्मक पहलू ये है कि हमारे स्टॉक का मूल्य बढ़ गया है, लेकिन नकारात्मक पक्ष ये है कि हमारा कारोबार कम हो गया है। उदाहरण के लिए, अगर किसी शख्स के पास एक लाख रुपये हैं, तो वो सोना खरीदना चाहेगा। पहले वो इतने पैसे से वो दो सॉवरेन (एक सॉवरेन = आठ ग्राम) खरीद सकता था। अब वो सिर्फ 1.5 सॉवरेन ही खरीद सकता है। इसलिए खरीदार की क्रय शक्ति कम हो गई है, और हमारा कारोबार भी कम हो गया है।”
खरीदार ने कहा, “अभी कीमत काफी है। हम पहले की तरह सोना नहीं खरीद सकते। अब हम सिर्फ ज्यादा छूट चाहते हैं। कीमतें कम होतीं तो हम ज्यादा खरीद सकते थे। बेहतर होगा कि हम सोने की जगह बच्चों को पैसे दे दें। सोने की कीमत बढ़ती जा रही है। मैं दो सप्ताह से कीमत कम होने का इंतजार कर रही हूं, लेकिन ये बढ़ती जा रही है। इसलिए मैं उतना नहीं खरीद पाई जितने की उम्मीद थी। मैं अपने इस्तेमाल के लिए खरीद रही हूं, लेकिन ऊंची कीमत भारी समस्या है।”