Kerala: पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा को बताया कि 2021 से 2025 के बीच केरल में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में अनुमानित 344 लोगों की जान चली गई। प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि 180 मौतें सांप के काटने से, 103 हाथियों की वजह से और 35 जंगली सूअरों के कारण से हुई है।
इसके अलावा, चार मौतों के लिए बाघों को जिम्मेदार ठहराया गया, यादव ने कहा कि “हमें मानव जीवन और पर्यावरण की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।”
मंत्री ने सदन को बताया, “हम कोयंबटूर में एसएसीओएन (सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र) को मानव-पशु संघर्ष पर एक वैज्ञानिक केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। हम हाथियों के गलियारों की भी पहचान कर रहे हैं और हाथियों का आकलन कर रहे हैं और स्थानीय जागरूकता पैदा कर रहे हैं। हम रेलवे के साथ उनके हाथियों के मार्गों की पहचान करने के लिए भी काम कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि 58 बाघ अभयारण्य क्षेत्र हैं। यादव ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार को सूचित किया है कि केरल में जंगली सूअरों को मारने और प्रभावित क्षेत्रों में इस समस्या को खत्म करने के लिए ग्राम पंचायतों को अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने पल्लकड़ जिले में जंगली सूअरों को मारने वाली पंचायतों के मामलों का हवाला दिया, मंत्री ने कहा कि केरल के सांसदों ने उनसे मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने इस साल फरवरी में वायनाड का दौरा किया ताकि क्षेत्र में मानव-पशु संघर्ष को समझा जा सके।
पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि “मनुष्य और वन्य जीवों का जो संघर्ष है वो हमारे लिए चुनौती है लेकिन हमेें दोनों चीजों में संतुलन रखना है। पर्यावरण में भी और वन्य जीवों के संरक्षण में भी संतुलन रखना है। जो उसके कारण मृत्यु होती है उसके बचाव के कार्य को करना है। जहां तक संख्या माननीय सदस्य ने बताई है उनके प्रश्न के उत्तर में हमने खास तौर से बताया है कि विगत 2021 से 2025 तक इसमें 344 लोगों की डेथ हुई है।”