Kargil War: 25वें कारगिल विजय दिवस के मौके पर द्रास के लामोचेन व्यू पॉइंट पर सेना ने शहीदों के सम्मान में खास कार्यक्रम किया। इसमें शहीदों के परिवार और कारगिल वॉर हीरो शामिल हुए।
कार्यक्रम में रिटायर सूबेदार मेजर और ऑनरेरी कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव भी शामिल हुए, वह भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित होने वाले सबसे कम उम्र के सैनिक हैं। उन्हें महज 19 साल की उम्र में कारगिल युद्ध के दौरान उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया गया था।
कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे कई दिग्गजों ने अपना अनुभव और युद्ध की कहानियां शेयर कीं, कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीद सैनिकों के परिवार ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने अपनों के बलिदान और उनसे जुड़ी यादें शेयर कीं।
द्रास के लामोचेन व्यू पॉइंट पर हुए इस कार्यक्रम में शहीदों की वीरता का सम्मान करने के साथ ही एकता की भावना का भी जश्न मनाया, जिसकी बदौलत 25 साल पहले कारगिल युद्ध में भारत को जीत मिली थी। कारगिल युद्ध के हीरो ऑनरेरी कैप्टन योगेंद्र यादव ने बताया कि “सेना का सिपाही होने पर मुझे गर्व है और गर्व है इन सभी कमांडर्स के ऊपर जिन्होंने मुझे इस तरह से पाला-पोसा और इस तरह से इस योग्य बनाया कि मैं भी अपने लहू की कुछ बूंदे इस भारत मां के चरणों पर, इस टाइगर हिल के ऊपर अर्पित कर पाया।”
आर्मी वेटरन सब मेजर कैप्टन खुशीमन गुरुंग ने कहा कि “शाम के टाइम में 5.30 बजे में उन्होेंने आरपीजी गोला मारा हमारे ऊपर, हम 13 आदमी था। 13 में से कैजुअल्टी हुए, दो शहीद हुए, मैं भी कैजुअल्टी हुआ था हल्का-फुल्का तो मैं वहीं डटा रहा और बाकी जो बेहोश हो गए थे उनको नीचे उतारा। मैं अकेला रात भर रहा वहां और फायर देता रहा मैं, तो इस योगदान ने मेरे को वीर चक्र घोषित किया। 30 मई को हमने पाकिस्तान पोस्ट के ऊपर कब्जा करके उसका डेड बॉडी, हथियार, एम्युनिशन वो सारा हमने कैप्चर किया था जो कि कारगिल वॉर का सबसे जीत का शुरुआत था और उसमें हम को वीर चक्र से नवाजा गया है।”