Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध के दौरान कैसे ‘वॉल ऑफ डिफेंस’ बनी थी ढाल

Kargil Vijay Diwas: द्रास की पहाड़ियों में बुलंदी से खड़ी पत्थर की इस दीवार ने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान कई गोलियों और तोपों के गोलों का सामना किया था।

युद्ध के बीचोंबीच सैनिकों और इलाके के लोगों द्वारा रातोंरात बनाई गई इस ‘वॉल ऑफ डिफेंस’ की अहमियत ईंटों और गारे से कहीं ज्यादा थी। दुश्मन के सामने ये ढाल बन गई। इसने न सिर्फ सैनिकों और यहां रह रहे लोगों की जिंदगी बचाई बल्कि महत्वपूर्ण श्रीनगर-लेह राजमार्ग को भी दुश्मनों की लगातार गोलीबारी से महफूज़ रखा।

दीवार आज भी मज़बूती से खड़ी है, हालांकि इलाके के कई लोगों के लिए 1999 के कारगिल युद्ध से जुड़ी यादें धुंधली हो गई है। लेकिन वे अपनी जिंदगी में एक और युद्ध नहीं देखना चाहते।

बता दें कि कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। इस दौरान उन 527 शहीद सैनिकों की वीरता और बलिदान को सलाम किया जाता है, जिन्होंने ऊंचाई वाले इलाकों में संघर्ष के दौरान देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।

द्रास निवासी अब्दुल माजिद ने बताया कि “जो वॉल बनी थी वो 1999 में बनी थी, जब पाकिस्तान इधर आया था टाइगर हिल और तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया था, उस वक्त हाइवे पर उनके मतलब उसको टारगेट बना रहे थे पाकिस्तान। इसलिए इंडियन आर्मी ने ये वॉल बनाया था। ताकि आने-जाने वालों को महफूज रहे, इसलिए ये बनाया था वॉल 1999 में बनाया था।”

” जब भी आर्मी का कनोय निकलता था सीधा आर्मी के कन्वई पर ही अटैक करता था। तो इंडियन आर्मी ने उसी चीज के लिए दीवार को खड़ा किया ताकि यहां से गाड़ी निकल जाए और उनकी नजर में नहीं आए और एक मैन है यहां पर एक ब्रिज है पीछे यहां से आगे ब्रिज पर भी उनका नजर था। उनका मैन यही था कि उस ब्रिज को डिस्ट्रॉय करे।

ताकि उसको फिर से बनने में कुछ टाइम लगे उसी दौरान मैन ये है कि उनको हाइवे को खत्म करना था लद्दाख को जो दुनिया से अलग करना था। यही उनका मकसद था कि वो इसको कैप्चर करे। वे टाइगर हिल, तोलोलिंग पर बैठा लेकिन इंडियन आर्मी ने बहुत जबरदस्त जंग लड़ा यहां पर हमने खुद यहां पर अपनी आंखों से देखा।”

इसके साथ ही द्रास निवासी मोहन अमीन ने कहा कि “अब तो ये मेमोरी बनाया, 26 साल के बाद अभी तक जब से कारगिल वॉर हुआ तब से अब तक 26 साल हो गए। एक भी गोली की आवाज नहीं चली है, सीजफायर अभी तक चल रहा है औऱ लोग भी उम्मीद करते हैं कि आगे न चले। क्योंकि ये जंग जो है जितना हमें आसान लगता है, उतना होता नहीं है।”

 

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