Jammu-Kashmir: अमरनाथ यात्रा जुलाई में शुरू होने वाली है, उस दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ कर्मचारियों की खास ट्रेनिंग चल रही है। वे जम्मू कश्मीर पुलिस के माउंटेन रेस्क्यू टीमों के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं, एमआरटी सदस्यों की सांबा में 15 दिन की ट्रेनिंग चल रही है। वे पहाड़ पर चढ़ने-उतरने और उपकरणों की मदद से एवलांच, बाढ़ या दूसरी प्राकृतिक आपदाओं से लोगों को रेस्क्यू करने की ट्रेनिंग ले रहे हैं।
खास ट्रेनिंग देने का जिम्मा करीब 50 ट्रेनर पर है, वह श्रद्धालुओं की हर मुमकिन मदद के लिए जवानों को खास तरीकों का प्रशिक्षण दे रहे हैं, ट्रेनिंग के बाद अलग-अलग टीम बनाकर जवानों को पवित्र मंदिर जाने वाले दोनों रास्तों पर तैनात किया जाएगा।
अमरनाथ यात्रा जुलाई-अगस्त महीने में होने वाली सालाना तीर्थ यात्रा है, हर साल लाखों श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र गुफा में शिवलिंग का दर्शन करते हैं, ट्रेनी “हमें यहां पर सिखाया जाता है, कोई डिजास्टर आता है या कोई एवलांच आता है या अमरनाथ यात्रा की ओर कोई गाड़ी एक्सिडेंट होता है तो उसको कैसे रेस्क्यू करना है। इसके बारे में सब बताया जाता है, थ्योरी और प्रैक्टिकल, यह रोज चलता है 15 दिन।”
ट्रेनी ने बताया कि “अगर किसी को निकालना है फ्लड में, तो हमें… अगर कोई नाले में आ गया, किसी का एक्सिडेंट हो गया, खाई है, तो हम उसके लिए राफ्टिंग का भी उपयोग करते हैं। जैसे आपने देखा अभी पुल्ली का यूज किया। जैसे कोई चल नहीं सकता है, विक्टिम है, उसको हम बांध के पुल्ली से लिफ्ट किया जाता है, जो ज्यादा भारी है, उसको उठा के हम हैमरिंग नहीं कर सकते हैं।”
इसके साथ ही कहा कि “हमारे इलाके में जम्मू कश्मीर में आए रोज हादसों से लड़ने के लिए हमें ये प्रशिक्षण काफी उपयोगी रहेगा। और हमारे उस्ताद पार्टी ने बहुत सरल एवं दुरुस्त तरीके से हमें हर किस्म के प्रैक्टिकल कराया।”
तो वहीं एमआरटी प्रभारी राम सिंह सलाथिया का कहना है कि “एमआरटी की टीम में 2009 में हमारी दो टीमें लगीं, आज जो दोनों रूट हैं, उनमें हमारी 13 टीमें होती हैं। उसके लिए हमें पहले इनको 15 दिन की ट्रेनिंग रेस्क्यू की दी जाती है और फिजिकली और मेंटली इनको फिट किया जाता है कि उस एरिया में, उस हाई एल्टीट्यूड में वो जवान फिट भी है या ना फिट है। तो यहां से हम उनकी सेलेक्शन करके अमरनाथ यात्रा के लिए डिप्लॉय करते हैं और दो-ढाई महीने वहां यात्रियों की रक्षा के लिए रहते हैं।”