Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर के बागवानी विभाग ने सांबा में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए पहल शुरू की है, इस कार्यक्रम का मकसद किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती की जानकारी देना है।
ये पहल राज्य सरकार के समग्र कृषि विकास कार्यक्रम का हिस्सा है, इसका मकसद इलाके में उगाए जाने वाले फलों की किस्मों में विविधता लाना है। इस पहल का मकसद न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाना है, बल्कि उन्हें खेती के मॉडर्न फॉर्मूलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना भी है।
ड्रैगन फ्रूट को पिटाया के नाम से भी जाना जाता है। ये एशिया, मेक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाला एक कैक्टस फल है। ये फल मीठा होता है और इसका स्वाद कीवी और नाशपाती का अहसास कराता है।
बागवानी निदेशक चमन लाल शर्मा ने बताया कि “प्लांट मटेरियल की मल्टीफिकेशन अगर करना चाहे फार्मर अपना नर्सरी प्रोपेगेशन यूनिट स्थापित करना चाहे तो, उसको वो भी यहां सिखाया जाता है और अगर वो फ्रुट प्रोडक्शन में आना चाहे तो उसके लिए भी मदर ब्लॉक’ या एक बाग भी लग रहे हैं। ये हमने एक डेमोंस्ट्रेशन प्लांट लगाया है नर्सरी में एक, क्योंकि यहां नर्सरी में आपको पता है कि आसपास से लोग पौधे लेने आते हैं तो एक नई इंट्रोडक्शन उनको बताई जाएगी कि ये भी एक इंट्रोडक्शन है। इसके लिए ऐसा सपोर्ट सिस्टम होता है। इस टाइप के प्लांट्स होते हैं। इस टाइप के सकर्स होते हैं। दो ऑप्शन हैं फार्मर के पास या तो वो प्लांट मटेरियल अपना तैयार कर सकता है या वो फ्रूटिंग की तरफ भी जा सकता है।”
इसके साथ ही कहा कि “हमने एक मदर ब्लॉक यहां स्थापित किया है। जैसे होलिस्टिक एग्रीकल्चर डेवलपमेंट प्रोग्राम में एचएडीपी का एक प्रोग्राम है वो सरकार की तरफ से बड़ा एक एम्बिशियस प्रोग्राम चल रहा है। उसी प्रोग्राम के तहत यहां हमने मदर ब्लॉक लगाए हैं, जिससे हम अपने पौधे तैयार करेंगे। छह कनाल में मदर ब्लॉक लगाया है। जो 40 कनाल में हम लगभग 4,444 पौधे लगाते हैं, उसी हिसाब से हमने छह कनाल में पौधे लगाए हैं। तो ये आशा करते हैं हम कि एक पौधा कम से कम हमें चार से पांच सकर देगा ये।”