Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह में हजारों नाग भक्त “अष्टभुजा” देवी की पूजा करने के लिए पुरानी पहाड़ी मंदिर में इकट्ठा हुए, मां अष्टभुजा को शीतला माता के नाम से भी जाना जाता है।
जम्मू कश्मीर के नागाओं के लिए दशहरे से पहले अष्टमी एक महत्वपूर्ण धार्मिक तिथि है, इस उत्सव को मनाने के लिए लगभग 18,000 लोग, जिनमें ज्यादातर नागा थे। वो सभी 8,500 फीट ऊंचे “अष्टभुजा” मंदिर में इकट्ठा हुए।
रहोसरा धार में अष्टभुजा के इस मंदिर को देवी शीतला के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। रहोसरा धार बर्फ से घिरा होने के कारण बेहद दुर्गम है, लेकिन इसके निचले हिस्से में नवरात्रि के दौरान खासकर अष्टमी के दिन प्राचीन नागा पंथ उत्सव मनाता है।
माना जाता है कि भद्रवाह शहर से 43 किलोमीटर दूर पहाड़ी के दर्रे पर मां के इस मंदिर की खोज मुगल सम्राट बाबर के काल में हुई थी। यहां के लोगों की मान्यता है कि देवी भद्रवाह के मुख्य देवता भगवान वासुकी नाग की बहन हैं और उनका जन्मदिन नवरात्र के आठवें दिन पड़ता है।
श्रद्धालुओ का कहना है कि “बचपन से बहुत मान्यता रखते हैं और बचपन से हम लोग बहुत आते हैं यहां पे। सबकी मन्नतें पूरी करती हैं। दूर-दूर से लोग आते हैं। बहुत मान्यता है मंदिर की। मन्नतें पूरी करती हैं लोगों की।”