Jammu-Kashmir: कश्मीर के बांदीपुरा जिले के गुरेज इलाके में एलओसी के पास बसे गांव अब सैलानियों की पसंदीदा जगह बनते जा रहे हैं, यह इलाके कभी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की वजह से सुनसान रहते थे।
गुरेज घाटी में किशनगंगा नदी के किनारे कैंप लगने इन दिनों आम हो गए हैं, यहां रहने वाले लोग बीते दो साल में सैलानियों के पहुंचने से काफी खुश हैं। टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को भरोसा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर जारी रहा, तो गुरेज़, गुलमर्ग और पहलगाम जैसी जगहों से भी ज्यादा मशहूर हो सकता है।
टूरिज्म ऑपरेटर सीजफायर एग्रीमेंट जब से हुआ है, बाद में टूरिज्म बढ़ा है, यहां की बात नही अगर हम करना केरन की बात करें, गुरेज की बात करें या लोलाब वैली की बात करें, बाद में टूरिज्म तो हर जगह बढ़ा है। लेकिन गुरेज़ में उतना फोकस नही हुआ, क्योंकि यह कटा रहा था छह-साच महीने तो एडमिनिस्ट्रेशन भी शायद उतना ध्यान नहीं दे पा रही है,अब हमारी एडमिनिस्ट्रेशन से गुजारिश है जब से सीज़फायर एग्रीमेंट हुआ है तब से टूरिस्ट हल्के-हल्के आने लगे है। पिछले साल गवर्नमेंट का आंकडा था कि पांच हज़ार के आसपास टूरिस्ट यहां पर आए। टूरिस्ट यहां पर आने से, यहां कि इकोनॉमी बढ़ेगी। इकोनॉमी बढ़ेगी तो रोजगार मिलेगा। यहां के नौजवान पढ़े-लिखे अभी भी बेरोजगार बैठे हैं, तो टूरिस्ट आएंगे तो उनकी इकोनॉमी भी जनरेट हो जाएगी। वो अपना चार पैसा कमा सकते है।
टूरिज्म में इस टाइम डोज का फ्लो बहुत ज्यादा यहां पर होने लगा है। लास्ट टू इयर्स से टूरिज्म हमारा गुरेज़ एक्सपलोर हो रहा है। इवन ये हमारे हिसाब से टूरिज्म के नक्शे में था ही नहीं, टूरिज्म के नक्शे में, कुछ सालों से अब टूरिज्म के नक्शे में आ रहा है तो इस हिसाब से हम बहुत खुश है, यहां के युथ अपना एडजस्टमेंट कर रहा है, यहां पर अर्निंग कर रहा है।