Jammu: एक वक्त था जब आतंकवाद से जूझ रहे दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में चुनाव बहिष्कार के पोस्टर आम बात थी। लेकिन अब इसमें खास बदलाव आया है, कुलगाम में जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 सितंबर को वोट डाले जाएंगे, ऐसे में इलाके में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
माहौल में लोकतांत्रिक बहस और शांति और विकास पर हो रही चर्चाओं की गूंज सुनाई दे रही है, कुलगाम में पीडीपी के मोहम्मद अमीन डार, जमात-ए-इस्लामी के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार सयार अहमद रेशी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के मोहम्मद अकीब डार और सीपीआई(एम) के टिकट पर पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे यूसुफ तारिगामी के बीच मुकाबला है।
सयार अहमद रेशी के लिए युवाओं की बेरोजगारी इस चुनाव में अहम मुद्दा है, वोटरों के साथ बातचीत में उन्होंने बेरोजगारी की समस्या हल करने और युवाओं के लिए रोजगार के मौकों में सुधार लाने का वादा किया। जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद आकिब डार भी युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं, डार का मानना है कि वोटर उस पार्टी का समर्थन करेंगे जो युवाओं के लिए बेहतर भविष्य का वादा करती है।
कुलगाम के वोटरों को उम्मीद है कि आगामी चुनाव इलाके के आर्थिक हालात को सुधारने में अहम साबित होगा। इसमें पारंपरिक ‘कांगड़ी’ इंडस्ट्री में नई जान फूंकना शामिल है, कुलगाम उन 24 विधानसभा सीटों में शामिल हैं जहां 18 सितंबर को पहले चरण में वोट डाले जाएंगे, जम्मू कश्मीर में 90 सदस्यों की विधानसभा के लिए 18 सितम्बर से एक अक्टूबर के बीच तीन चरणों में वोटिंग होगी, चुनाव नतीजों का ऐलान आठ अक्टूबर को होगा।
कुलगाम विधानसभा सीट सीपीआई (एम) उम्मीदवार मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि “यहां अभी जो ड्रग का सवाल है, ड्रग की तरफ हमारा समाज जा रहा है। अनफॉर्चुनेट है। लेकिन न जॉब है। न काम करने के लिए है। और बार-बार सिर्फ एफआईआर है। तो फ्रस्टेशन है। डीमॉरलाइजेशन है। और मेरी नजर में ये फ्रस्टेशन, डीमॉरलाइजेशन न कश्मीर के नौजवानों के लिए ठीक है, और न ही ओवरऑल जो हमारा एम है कि यहां अमन कायम हो, वो अमन कायम नहीं होगा, अगर नौजवानों में कॉन्फिडेंस पैदा न हो, अगर उनको अपनाया न जाए। ये मेरा बड़ा कंसर्न है।”
कुलगाम विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार सयार अहमद रेशी ने कहा कि “हमारे बस्तियों का यही हाल है, गांवों का यही हाल है कि दो-दो कमरों में आठ-आठ क्लास पढ़ाए जाते हैं, लेकिन नारे तो बड़े लगते हैं। हमारी ताली मुतासिर है। ये तमाम लोग पढ़े-लिखे स्कॉलर्स हैं। बेरोजगारी ने इनको इस तरह परेशान किया हुआ है। यहां पे ड्रग का इस्तेमाल इस तरह हो रहा है, हर कोई, मां और बाप परेशान है। यही बेचैनी और बेकारी लेके हम मैदान में आए हैं कि अब हमें नहीं सोना चाहिए।”
मोहम्मद आकिब डार, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी उम्मीदवार, कुलगाम विधानसभा सीट “सीपीआई (एम) ने यहां पे 96 से इलेक्शन लड़ा। 96 से उन्होंने चार बार इलेक्शन जीता। लोगों के लिए क्लीयर मैसेज है और मीडिया के लिए भी क्लीयर मैसेज है, अगर वो क्लीयर स्टैंड पर होते, अगर उनको पता होता कि हम जीत पाते, तो वो झुंड में नहीं आते। उन्होंने नेशनल कॉफ्रेंस का सहारा लिया। उन्होंने इंडियन नेशनल कॉन्ग्रेस का सहारा लिया। और अंदर से भी वो एक-दो पार्टियों का सहारा ले रहे हैं, जो लोगों को नहीं दिख रहा है। हमारा स्टैंड क्लीयर है। मैं एक अनएम्प्लॉयड यूथ हूं। मैं अनएम्प्लॉयड यूथ की लड़ाई लड़ रहा हूं। उनको भी चाहिए कि वो हमारा साथ दें।”
स्थानीय निवासियों का कहना है कि “जहां तक मैं आपको प्रेजेंट सिचुएशन बताता हूं, जो कश्मीर में कांगड़ी फेमस है। विंटर में काम आती है। लेकिन अब इसका जो कारोबार है, उसकी लेवल गिर गई है। उसमें अब वो दाम नहीं आता, जो प्रीवियस ईयर में आता था। अब वो दाम नहीं आता। ये जो कारोबार है, काफी कनवीन कारोबार है। यहां की रोजी-रोटी चलती थी, वो इसी कारोबार की वजह से चलती थी, लेकिन अब इसमें वो मजा नहीं रहा, यहां जमीन नहीं, कुछ भी नहीं। क्या करेंगे? कहां रहेंगे हम? पानी भी नहीं है। जमीन भी नहीं है। क्या करेंगे हम?