Jammu: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी मामले में तीन आरोपितों को किया गिरफ्तार

Jammu:  जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि ट्राई और सीबीआई के अधिकारियों के रूप में पीड़ितों को पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करने के लिए डिजिटल गिरफ्तारी के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मामले में श्रीनगर के एसएसपी इम्तियाज हुसैन ने कहा कि “एक नई साइबर धोखाधड़ी है ‘डिजिटल अरेस्ट’, जहां आरोपी खुद को कानूनी एजेंसी जैसे कि सीबीआई या कस्टम अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं और प्रतिबंधित दवाओं के फर्जी अंतरराष्ट्रीय पार्सल के नाम पर वीडियो कॉल करके लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं।”

उन्होंने कहा कि आरोपित ने सीनियर सिटीजन से 21 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए मनोवैज्ञानिक हेरफेर का इस्तेमाल किया। एसएसपी ने कहा, उन्होंने पीड़ित पर 6.8 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया और उसे डराने-धमकाने के लिए मनगढ़ंत गिरफ्तारी वारंट और जुर्माना जारी किया। उन्होंने कहा कि आरोपितों ने पीड़ित के साथ बातचीत को “नेशनल सीक्रेसी” का नाम दिया और उसे अपने घर पर ताला लगाने, दूसरों के साथ कम्यूनिकेशन से बचने का आदेश दिया। उसके बाद आरोपितों ने पीड़ित से घंटों के भीतर पैसे वापस करने का झूठा भरोसा दिया। उन्होंने बताया कि दबाव में पीड़ित ने समय से पहले अपना सेविंग डिपॉजिट बंद कर दिया और 21 लाख रुपये फर्जी एचडीएफसी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।

उसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और कश्मीर की साइबर पुलिस ने मामले में तेजी से जांच शुरू की। एसएसपी ने कहा कि “हाई टेक्नोलॉजी टूल का इस्तेमाल करते हुए पुलिस ने दोषियों की पहचान की और उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब में टीमें भेजीं। ऑपरेशन में उत्तर प्रदेश से गौरव कुमार, पंजाब से गुरप्रीत सिंह और उज्जवल चौहान को गिरफ्तार किया गया।”

उन्होंने बताया कि पुलिस ने चार मोबाइल फोन, एक मैकबुक, 13 सिम कार्ड, 24 डेबिट कार्ड, 20 चेकबुक, 10 पासबुक और दूसरे आपत्तिजनक सामान जब्त किए गए। हुसैन ने कहा, शिकायतकर्ता के खाते में 4.13 लाख रुपये की राशि वापस दे दी गई है। वहीं आरोपितों पर धोखाधड़ी, साजिश और जबरदस्ती समेत कई आरोप लगाए गए हैं। हुसैन ने कहा कि मामले से जुड़े दूसरे साजिशकर्ताओं को उजागर करने और घोटाले के पीछे के बड़े नेटवर्क को खत्म करने के लिए आगे की जांच जारी है।

एसएसपी इम्तियाज हुसैन को का कहना है कि “एक नई साइबर धोखाधड़ी है ‘डिजिटल अरेस्ट’, जहां आरोपी खुद को कानूनी एजेंसी जैसे कि सीबीआई या कस्टम अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं और प्रतिबंधित दवाओं के फर्जी अंतरराष्ट्रीय पार्सल के नाम पर वीडियो कॉल करके लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं। आरोपित ने सीनियर सिटीजन से 21 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए मनोवैज्ञानिक हेरफेर का इस्तेमाल किया।”

“उन्होंने पीड़ित पर 6.8 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया और उसे डराने-धमकाने के लिए मनगढ़ंत गिरफ्तारी वारंट और जुर्माना जारी किया। आरोपितों ने पीड़ित के साथ बातचीत को “नेशनल सीक्रेसी” का नाम दिया और उसे अपने घर पर ताला लगाने, दूसरों के साथ कम्यूनिकेशन से बचने का आदेश दिया। उसके बाद आरोपितों ने पीड़ित से घंटों के भीतर पैसे वापस करने का झूठा भरोसा दिया। दबाव में पीड़ित ने समय से पहले अपना सेविंग डिपॉजिट बंद कर दिया और 21 लाख रुपये फर्जी एचडीएफसी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।”

“उसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और कश्मीर की साइबर पुलिस ने मामले में तेजी से जांच शुरू की। हाई टेक्नोलॉजी टूल का इस्तेमाल करते हुए पुलिस ने दोषियों की पहचान की और उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब में टीमें भेजीं। ऑपरेशन में उत्तर प्रदेश से गौरव कुमार, पंजाब से गुरप्रीत सिंह और उज्जवल चौहान को गिरफ्तार किया गया।”

“पुलिस ने चार मोबाइल फोन, एक मैकबुक, 13 सिम कार्ड, 24 डेबिट कार्ड, 20 चेकबुक, 10 पासबुक और दूसरे आपत्तिजनक सामान जब्त किए गए, शिकायतकर्ता के खाते में 4.13 लाख रुपये की राशि वापस दे दी गई है। वहीं आरोपितों पर धोखाधड़ी, साजिश और जबरदस्ती समेत कई आरोप लगाए गए हैं। हुसैन ने कहा कि मामले से जुड़े दूसरे साजिशकर्ताओं को उजागर करने और घोटाले के पीछे के बड़े नेटवर्क को खत्म करने के लिए आगे की जांच जारी है।”

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