India-Pak Tension: जब दो देशों के बीच दीवारें खड़ी हो जाती हैं, तो सबसे पहले इंसानियत बिखरती है। हर बार जब बारूद की बू हवा में घुलती है, तब सिर्फ दुश्मन नहीं मरते माँएं, बच्चे और पूरा परिवार अंदर से टूट जाता हैं। भारत-पाकिस्तान के रिश्ते इस समय सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद स्थिति और खराब हो गई। पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए भारत ने कई कदम उठाए और दोनों देशों के बीच सीमित व्यापार सहित सभी आर्थिक संबंधों को खत्म कर दिया। पहलगाम हमलें में शामिल अतंकियों को पकड़ने के लिए सरकार ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का अयलान किया वह मिशन सफल रहा। लेकिन यह पहली बार नहीं है कि भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव हुआ हो, भारत-पाकिस्तान युद्ध काफी समय से चला आ रहा है। एक-एक कर जानते हैं भारत-पाक के अब तक के सारे युद्धों की कहानी।
भारत-पाकिस्तान का पहला युद्ध (1947)
भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध 22 अक्टूबर 1947 में हुआ था। यह युद्ध कश्मीर के मुद्दे पर हुआ था। इस युद्ध में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया और कई लोगों की जानें गईं। भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर का मुद्दा एक बड़ा विवाद था। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत में शामिल होने का निर्णय लिया, जिसे पाकिस्तान ने स्वीकार नहीं किया। भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद भी एक बड़ा कारण था। दोनों देशों के बीच सीमा की स्पष्ट परिभाषा नहीं थी, जिससे तनाव बढ़ गया। पहला भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 में शुरू हुआ और 1949 तक चला। युद्ध के बाद कश्मीर की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। कश्मीर का एक हिस्सा भारत के नियंत्रण में आया, जबकि दूसरा हिस्सा पाकिस्तान के नियंत्रण में आया। इस युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों की शुरुआत की। जब पाकिस्तानी कबायली सेनाओं ने कश्मीर पर आक्रमण किया, तो उन्होंने कई शहरों पर कब्ज़ा कर लिया और हिंदू और सिख शरणार्थियों के बड़े पैमाने पर पलायन का कारण बने। भारतीय सेना ने कदम बढ़ाया और क्षेत्र पर नियंत्रण पाने के लिए लड़ाई लड़ी। इस संघर्ष में उरी, बारामुल्ला और जम्मू की लड़ाइयाँ महत्वपूर्ण थीं।
भारत-पाकिस्तान का दूसरा युद्ध (1965)
भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा युद्ध 1965 में हुआ था। 1947 में आज़ादी के बाद से कश्मीर की स्थिति अनसुलझी रही है। पाकिस्तान ने स्थानीय विद्रोहियों का समर्थन किया और झड़पें बड़े पैमाने पर संघर्ष में बदल गईं। इस युद्ध में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया और कई लोगों की जानें गईं। युद्ध लगभग पाँच सप्ताह तक चला, जिसमें दोनों पक्षों में भारी लड़ाई हुई। भारत ने अंततः पाकिस्तानी सेना को पीछे धकेल दिया, और युद्ध ताशकंद समझौते के तहत सोवियत संघ और अमेरिका द्वारा मध्यस्थता किए गए युद्ध विराम के साथ समाप्त हुआ। युद्ध विराम के परिणामस्वरूप युद्ध विराम रेखा की स्थापना हुई, जो बाद में नियंत्रण रेखा बन गई, लेकिन कश्मीर विवाद अनसुलझा रहा।
भारत-पाकिस्तान का तीसरा युद्ध (1971)
भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध 1971 में लड़ा गया था, जो बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के रूप में जाना जाता है। यह युद्ध बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया था और इसका परिणाम बांग्लादेश की स्थापना था। पूर्वी पाकिस्तान में अवामी लीग के नेतृत्व में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन शुरू हुआ था। पाकिस्तानी सेना ने इस आंदोलन को दबाने के लिए अत्याचार किया, जिससे लाखों लोग भारत में शरणार्थी बन गए। युद्ध का दुनिया भर में प्रभाव पड़ा। अमेरिका और चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया, जबकि भारत ने जीत के बाद क्षेत्रीय प्रभाव हासिल किया। इस संघर्ष ने दक्षिण एशिया की राजनीति को बदल दिया और कई वर्षों तक भारत-पाकिस्तान संबंधों को खराब किया।
भारत-पाकिस्तान का चौथा युद्ध (1999)
कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 तक जम्मू और कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में लड़ा गया संघर्ष था। यह विवादित क्षेत्र पर बढ़ते तनाव के कारण हुआ था। पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और महत्वपूर्ण पर्वतीय ठिकानों पर कब्ज़ा कर लिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को वापस खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को करारी हार दी और कारगिल को वापस अपने नियंत्रण में ले लिया। युद्ध के दौरान भारत ने हवाई हमले, तोपखाने और ज़मीनी हमले किए। घुसपैठियों को खदेड़ने और अपने इलाके को वापस पाने के लिए भारतीय सेना ने “ऑपरेशन विजय” शुरू किया। महत्वपूर्ण लड़ाइयों में टोलोलिंग की लड़ाई और टाइगर हिल पर फिर से कब्ज़ा करना शामिल था, जो युद्ध में निर्णायक मोड़ थे। जुलाई 1999 में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा युद्ध विराम करवाने में मदद के बाद लड़ाई रुक गई। युद्ध समाप्त होने के बावजूद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी रहा और इस संघर्ष का उनके रिश्तों पर स्थायी प्रभाव पड़ा।
कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती, 1984-2003 कश्मीर में विवादित सियाचिन ग्लेशियर पर सैन्य मुठभेड़, जिसका मुख्य कारण सीमा विवाद था। सियाचिन ग्लेशियर की सीमा स्पष्ट नहीं थी, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। इस क्षेत्र का रणनीतिक महत्व भी है, क्योंकि यह महत्वपूर्ण पहाड़ी दर्रों को नियंत्रित करता है। पाकिस्तान ने सियाचिन ग्लेशियर पर अपना दावा किया, जिसे भारत ने स्वीकार नहीं किया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया और संघर्ष शुरू हुआ। 2001-2002 भारत-पाकिस्तान गतिरोध, जिसे ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक प्रमुख सैन्य निर्माण था। भारतीय संसद पर हमले के बाद तनाव बढ़ गया, सैन्य गतिरोध उत्पन्न हो गया, जिसे कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से कम किया गया। 2016, उरी हमला, पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किया गया था। इसका कारण कश्मीर में बढ़ते तनाव और भारत की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई थी। इस हमले में 19 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। 2019, बालाकोट हवाई हमले, 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकवादी हमले में 40 से अधिक भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। पुलवामा आतंकी हमले के प्रतिशोध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले किए।
और अब पहलगाम आतंकवादी हमला जो 22 अप्रैल 2025 को हुआ था, यह जम्मू और कश्मीर में पहलगाम के पास पांच हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा गैर-मुस्लिम पर्यटकों पर हमला था जिसमें 26 नागरिक मारे गये थे। पहलगाम आतंकवादी हमले के 15 दिनों के अंदर भारत सरकार द्वारा ऑपरेशन सिंदूर किया गया। हालात अब भी वही हैं और भारत-पाक के बीच तनाव और बढ़ गया है।