India-Pak: विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मिसरी ने दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच सम्मेलन में यह टिप्पणी की, उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के साथ ही सीमा के उस पार (पाकिस्तान) से स्थिति को बिगाड़ना शुरू हो गया था। मिसरी ने कहा, “हमारा रुख स्थिति को बिगाड़ने का नहीं रहा है। हमने केवल 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले का जवाब दिया। तनाव में कमी लाने के बारे में विदेश सचिव ने कहा, “पाकिस्तान ने स्थिति को बिगाड़ा, हमने केवल जवाब दिया। (तनाव कम करने की) जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है।”
कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है, क्योंकि उसने पहलगाम आतंकवादी हमले से स्थिति को बिगाड़ा और भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये केवल इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) की भूमिका का जिक्र करने का विरोध किया, जबकि टीआरएफ ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पहले ही ले ली थी। मिसरी ने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तानी गोलीबारी का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई से नागरिक प्रभावित हो रहे हैं।
संवाददाता सम्मेलन में विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी भी मिसरी के साथ थीं। विदेश सचिव ने कहा कि “वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में पाकिस्तान की पहचान दुनिया भर में हुए विभिन्न आतंकवादी हमलों में निहित है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दशकों से भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता आ रहा है। मिसरी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में कहा कि भारत की बुधवार की कार्रवाई नपी-तुली थी और ये आतंकवादी बुनियादी ढांचे तक ही सीमित थी।
पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए। भारतीय बलों ने जिन ठिकानों को निशाना बनाया, उनमें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का गढ़ कहलाने वाला बहावलपुर भी शामिल है।
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तानी सेना ने अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन इन कोशिशों को नाकाम कर दिया गया। इसके साथ ही लाहौर में एक पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया गया, मिसरी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान सिंधु जल संधि के मुद्दे पर सालों से जान बूझकर अड़चनें पैदा कर रहा था।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि “तनाव बढ़ने के मामले में हमने अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है, सबसे पहले तो यह पाकिस्तान ही है जिसने 22 अप्रैल को तनाव बढ़ाया, हम केवल उस तनाव का जवाब दे रहे हैं। अब यदि पाकिस्तान द्वारा तनाव बढ़ाने का कोई प्रयास किया जाता है, तो इसका उचित तरीके से जवाब दिया जाएगा और इसलिए यह पूरी तरह से पाकिस्तान पर निर्भर है कि वह क्या निर्णय लेता है।
दुनिया के लगभग हर चांसलर से जो बयान दिए जा रहे हैं और जो भी भावनाएं उनमें हैं। मूल रूप से और अधिकांश भावनाएं 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा के संदर्भ में भारत सरकार के लिए समर्थन हैं। भारत सरकार के आत्मरक्षा में इन हमलों का जवाब देने के अधिकार को व्यापक मान्यता प्राप्त है और निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने की इच्छा है कि आगे तनाव न बढ़े।”