IGNCA: आईजीएनसीए ने पुराने विज्ञापनों की लगाई प्रदर्शनी, अब एजेंसियों से मांगेगा उनके मशहूर विज्ञापन

IGNCA:  कभी रेडियो और टीवी पर दिखने वाले इन मशहूर विज्ञापनों को देखकर एक पीढी बड़ी हुई है, बॉलीवुड में आज के कई सुपर स्टार ने इन विज्ञापनों के जरिये अपनी अभिनय यात्रा को परवान चढाया। दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र यानी आईजीएनसीए ने हाल ही में ‘एड आर्ट एग्जीबिशन: फॉर डिकेड्स ऑफ इंडिया एडवरटाइजिंग’ नाम से एक प्रदर्शनी लगाई। इसमें 1950 से लेकर 1990 के दशक तक भारतीय विज्ञापनों की यात्रा को दिखाया गया।

इस प्रदर्शनी में कुछ पुराने और कम देखे गए विज्ञापनों को भी जगह दी गई है। इनमें लक्स साबुन का वो विज्ञापन भी है जिसमें ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री निम्मी नजर आई थीं। इसके अलावा ‘लक्स’ के और भी विज्ञापन थे जिनमें उस जमाने की नामचीन अदाकारा वहीदा रहमान, माला सिन्हा और खलनायिका के रोल के लिए मशहूर शशिकला ने काम किया था।

इसके साथ ही कुछ ऐसे विज्ञापन भी थे जिनकी पंच लाइन आज कई कॉपी राइटरों को लुभाती है। ये नुमाइश उन लोगों और कलाप्रेमियों के लिए किसी खजाने की तरह है। ये दिखाती है कि कैसे विज्ञापनों की दुनिया ने लोगों को किसी खास चीज खरीदने के लिए प्रेरित किया। संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करने वाला स्वतंत्र संस्थान आईजीएनसीए अब पुराने विज्ञापनों का एक संग्रह तैयार करने की योजना बना रहा है।

ये प्रदर्शनी उन विज्ञापनों की याद दिलाती है, जिन्हे देख कर एक पीढी जवां हुई। डिजिटल जमाने में इनसे से कई विज्ञापन आज पूरी तरह बदल गए हैं लेकिन पुराने का रूतबा और चाह आज भी बरकरार है।

आईजीएनसीए के मीडिया प्रमुख अनुराग पुनेथा ने बताया कि “इस तरह की प्रदर्शनी लगाने का मकसद ये था कि भारतीय विज्ञापनों का एक अच्छा संग्रह बनाया जा सके। शुरुआत के लिए हमने आजादी के बाद का समय चुना — यानी 1950 से 1990 तक के विज्ञापन। हमें हमेशा वो पुराने मशहूर विज्ञापन और उनके यादगार स्लोगन याद आते हैं, जिनके साथ हम बड़े हुए हैं। इसलिए हमने सोचा कि इन विज्ञापनों को इकट्ठा कर एक जगह सहेजा जाए, ताकि आईजीएनसीए में एक अच्छा कलेक्शन बन सके। फिर चाहे वो विज्ञापन के शौकीन हों या इस विषय के छात्र, वे यहां आकर इन पुराने विज्ञापनों को देख सकें और उनसे कुछ सीख सकें।”

“ये 1983 की बात है…खासी आपको सवेरे पांच बजे भी जगा सकती थी, लेकिन ऐसा वक्त आप अपने डॉक्टर को नहीं जगा सकते थे।” (“खांसी आपको सुबह पांच बजे भी जगा सकती है, लेकिन आप अपने डॉक्टर को उस समय नहीं जगा सकते। इन सभी विज्ञापनों ने सपने बेचे। शायद इसी वजह से ये हमारे मन में कहीं न कहीं आज भी बसे हुए हैं, बात सिर्फ प्रोडक्ट की नहीं थी। हो सकता है हमने वो चीज तुरंत न खरीदी हो, लेकिन हमें वो विज्ञापन की हेडलाइन, उसकी पंचलाइन, उसमें नजर आने वाले एक्टर और उसका म्यूजिक याद रह गया।

“हम यहां पुराने विज्ञापन वाले पैम्फलेट और पोस्टर जमा कर रहे हैं। अगला कदम ये होगा कि 1970 के दशक से या हो सके तो 1960 के दशक से ही पुराने वीडियो और ऑडियो-विजुअल विज्ञापन भी इकट्ठा करें। हमने एअर इंडिया, अमूल, लक्ज जैसी कंपनियों को ईमेल भेजे हैं।”

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