Hyderabad: विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादातर विमान दुर्घटनाएं इसलिए होती हैं क्योंकि पायलट मुश्किल उड़ान स्थितियों के लिए तैयार नहीं होते हैं, जहां विमान अप्रत्याशित रूप से लुढ़क जाता है या अचानक अपनी धुरी पर मुड़ जाता है। इससे पायलट को ‘स्थानिक भटकाव’ का अनुभव हो सकता है, जहां वे अपनी स्थिति और दिशा को समझ नहीं पाते हैं और अंत में विमान से नियंत्रण खो देते हैं।
अब हैदराबाद के एक स्टार्टअप ने एक फ्लाइट सिम्युलेटर तैयार किया है। स्टार्टअप की स्थापना भारतीय वायुसेना के दो पूर्व पायलटों और एक इंजीनियर ने की है। ये सिम्युलेटर इस समस्या का समाधान करने का वादा करता है। एक्सियल एयरो का दावा है कि उनका सिम्युलेटर भारत में अपनी तरह का पहला सिम्युलेटर है, जो सबसे मुश्किल विमानन परिस्थितियों के लिए प्रशिक्षित करने में सक्षम है।
उनका कहना है कि सिम्युलेटर पर प्रशिक्षित पायलट हवा में संभावित रूप से जानलेवा स्थितियों से उबर सकता है, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। एक्सियल एयरो का कहना है कि उनका मकसद ये पक्का करना है कि विमानन प्रशिक्षण के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का निर्माण स्वदेशी स्तर पर किया जाए, जिससे भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभरने में मदद मिले।
एक्सियल एयरो प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक प्रवीण बाला ने कहा, “उड़ान के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं में सबसे बड़ा योगदान स्थानिक भटकाव (SD) और अपसेट रिकवरी को कहा जाता है, जहां एंगल गड़बड़ हो जाता है। जैसे कि अगर विमान एक तरफ झुकता है या विमान एक तरफ लुढ़कता है, तो पायलट इसके अभ्यस्त नहीं होते हैं और इसे संभालने में सक्षम नहीं होते हैं। इससे उबरने का एकमात्र तरीका तकनीक से नहीं है, ये मानव शरीर विज्ञान से जुड़ा है। इसलिए, इसके लिए प्रशिक्षण जरूरी है। इसके लिए प्रशिक्षण देने के लिए पर्याप्त तकनीक नहीं है। भारत ने तीन स्थानिक भटकाव सिम्युलेटर आयात किए हैं, लेकिन वो 360 डिग्री नहीं चलते हैं, वे केवल 20-30 डिग्री तक चलते हैं।”
“इसकी संकल्पना, डिजाइन और निर्माण पूरी तरह से भारत में ही किया गया है। हमें वायुसेना और नौसेना से इसमें रुचि मिली है। हम आईडीईएक्स (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार) पर आगे बढ़ रहे हैं, हम जरूरतों पर सहमत हो गए हैं, हम अनुबंध के चरण में हैं। हम टी-हब में इनक्यूबेट कर रहे हैं और प्रोटोटाइप के लिए हमें ये जगह देने में ये हमारे साथ बहुत सहयोगात्मक रहा है। हमारा लक्ष्य अगले दो-तीन साल में इसके लगभग चार-छह स्टिमुलेटर बनाना है।”