Goa: गोवा में राज्य सरकार ने शुरू किया ‘फ्रैंड्स ऑफ कोकोनट ट्री’ अभियान

 Goa:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के विजन के साथ जुड़ते हुए गोवा सरकार अब किसानों को भी सशक्त बना रही है साथ ही नारियल के पेड़ों के संरक्षण के लिए परंपरागत खेती और व्यवसाय को आधुनिकीकरण और नए नए स्किल्स के साथ पुनर्जीवित कर रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत की अगुवाई में, गोवा कृषि विभाग ने नारियल विकास बोर्ड कोच्चि के साथ साझेदारी में एक अभियान शुरू किया है जिसका नाम है “फ्रैंड्स ऑफ कोकोनट ट्री”। इस अभियान का मकसद नारियल के पेड़ों को संरक्षित और युवाओं को आधुनिक उपकरणों और तकनीकों से लैस करना है ताकि वे अपने इस व्यवसाय पर गर्व कर सकें।

राज्य सरकार की कोशिशों की वजह से गोवा में नारियल की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है, राज्य में 25,730 हेक्टेयर से ज़्यादा भूमि पर नारियल की खेती के साथ ही सालाना 124 मिलियन से ज़्यादा नारियल का उत्पादन भी हो रहा है। लेकिन बढ़ती खेती के साथ कुशल कटाई करने वालों की ज़रूरत भी बढ़ रही है।

ऐसे में इस कमी को पूरा करने के लिए, एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी सरकार की तरफ से चलाया जा रहा है। ताकि स्थानीय युवाओं को आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर सुरक्षित पेड़ पर चढ़ने की तकनीक से लेकर खेती और कीट प्रबंधन जैसा सर्वोत्तम हुनर सिखाया जा सके। पारंपरिक नारियल की कटाई करने वाले रोहिदास नाइक का कहना है कि पहले वे जूट की रस्सियों के सहारे चढ़ते थे लेकिन अब आधुनिक तकनीक की मदद से चढ़ना बेहद आरामदायक है।

फ्रैंड्स ऑफ कोकोनट ट्री’ कार्यक्रम गोवा की कृषि विरासत को संरक्षित कर रहा है और एक वक्त में विलुप्त होने की कगार पर खड़े इस व्यवसाय में नई जान फूंक रहा है। आधुनिक तकनीक का ज्ञान युवाओं को अब नारियल की खेती की ओर आकर्षित कर रहा है और अपना व्यवसाय बनाने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है।

समाज कल्याण मंत्री सुभाष फल देसाई ने कहा कि “वह हमारे सभी युवाओं को कटाई के उद्देश्य से पेड़ पर चढ़ने के लिए सुरक्षित मशीनरी के साथ प्रशिक्षित कर रहे हैं।” संगुएम क्षेत्रीय कृषि अधिकारी अग्रेश शिरोडकर ने बताया कि “कोकोनट कैसे लगाने का, कोकोनट की खेती कैसे करने की, डिस्टेंस कैसे रखने का, उसमें खाद कैसे देने का, पानी कैसे देने का, वैल्यू एडिशन क्या क्या हो सकता है कोकोनट में सब ट्रेनिंग देते हैं।”

इसके साथ ही कहा कि कोकोनट हार्वेस्टिंग ट्रेनर ने बताया कि “यह प्रोग्राम चाहिए क्योंकि हम लोगों के घर पर एक दो नारियल का पेड़ होता ही है। कम से कम घर का एक आदमी वो जान सकता है कि कब हम लोग हार्वेस्ट कर सकते हैं।”

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