Goa: गोवा के करीब तीन लाख स्कूली छात्रों की शिक्षा क्रांतिकारी बदलाव की दहलीज पर है। यहां हाल में ‘अपार कार्ड’ शुरू किया गया है, इसका पूरा नाम ‘ऑटोमेटेड परमानेंट एकैडेमिक अकाउंट रजिस्ट्री’ है।
यह छात्रों का अनोखा डिजिटल पहचान पत्र है, जिसमें नर्सरी से 12वीं तक उनकी पढ़ाई-लिखाई और दूसरी जानकारियों का पूरा ब्योरा होगा। इससे छात्रों की पढ़ाई का रास्ता आसान होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में शुरू की गई पहल में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अगले अकादमिक साल से सभी छात्रों के लिए अपार कार्ड अनिवार्य कर दिया है।
अपार कार्ड होने से छात्रों को सर्टिफिकेट खोने जैसी परेशानियों से निजात मिल जाएगी। वे कार्ड के जरिये कभी भी और कहीं भी अपने सर्टिफिकेट हासिल कर सकेंगे। यानी उनकी तमाम उपलब्धियां हर वक्त उनकी हमकदम होंगी। इतना ही नहीं, छात्र अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स के जरिये अपने सारे क्रेडिट का आसानी से मैनेजमेंट कर सकते हैं। ये पूरी प्रक्रिया नई शिक्षा नीति के अनुरूप है।
गोवा में रिकॉर्ड समय में अपार कार्ड का 70 फीसदी रजिस्ट्रेशन हुआ है। राज्य के 116 स्कूलों में इसका सौ फीसदी अनुपालन हो चुका है। पूरे राज्य के शिक्षकों ने इस पहल का दिल खोल कर स्वागत किया है। वे इसे ‘छात्रों का आजीवन पासपोर्ट’ तक बता रहे हैं।
‘अपार’ रैंकिंग में देश भर में 12वें नंबर पर है और तेजी से आगे बढ़ रहा है। ये तकनीक, नीति, और भविष्य की सोच का अद्भुत मिश्रण है। राज्य में शिक्षा व्यवस्था फख्र के साथ ऐसे मुकाम की ओर बढ़ रही है, जो ज्यादा असरदार है, आसानी से उपलब्ध है और भविष्य के अनुरूप है।
शिक्षा विभाग के निदेशक शैलेश जिंगाडे ने बताया कि “सभी प्रमाण पत्र हर समय डिजिटल रूप से उपलब्ध होंगे, इसलिए किसी भी दस्तावेज के खोने का कोई सवाल ही नहीं है और दूसरा फायदा ये है कि अब हम अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के लिए नई शिक्षा नीति के तहत क्रेडिट सिस्टम पर स्विच करने जा रहे हैं, डिजिलॉकर के कारण ये अपार बहुत अहम होगा।”