Excise duty: एक्साइज ड्यूटी पर फिर शुरू हो गई बहस, जब कच्चे तेल की कीमतें कम तो ग्राहकों को क्यों नहीं मिलता फायदा

Excise duty:  पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की घोषणा के बाद एक्साइज ड्यूटी पर बहस फिर से शुरू हो गई। वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद भारतीय उपभोक्ता पंप पर ज्यादा कीमत देने को मजबूर होते हैं। इसकी मुख्य वजह एक्साइज ड्यूटी ही होती है जो केंद्र सरकार ईंधन के अंतिम मूल्य पर लगाती है।

ज्यादातर टैक्स में बदलाव होने पर इसका असर आम लोगों पर पड़ता है लेकिन सरकार का कहना है कि इस बार खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा, क्योंकि उत्पाद शुल्क वृद्धि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में गिरावट से होने वाली कटौती से ऑफसेट हो रही है।

हरदीप सिंह पुरी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री “आपने वित्त मंत्रालय की अधिसूचना देखी होगी, जिसमें कहा गया है कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में दो रुपये की बढ़ोतरी की जा रही है। मैं साफ कर दूं कि हमने मंत्रालय की ओर से स्पष्टीकरण पहले ही जारी कर दिया है, इसका असर उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा।”

वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें अप्रैल 2021 के बाद से सबसे कम हो गई हैं, जो अमेरिका-चीन व्यापार तनाव बढ़ने और तेल की मांग को प्रभावित करने वाली वैश्विक मंदी की आशंकाओं की वजह से है। परिवहन कर्मचारियों से लेकर डिलीवरी ड्राइवरों तक लाखों भारतीयों के लिए ईंधन की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी भी दैनिक आय को प्रभावित कर सकती है।

अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के साथ, कई लोग ये सोचकर हैरान हैं कि अभी भी देश में कीमतें इतनी ज्यादा क्यों हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि “आम आदमी पर ही पड़ता है सारा जोर, पीछे तो घटना के लिए कह रहे थे, बस वही है वादे करते रहते हैं, काम तो करना नहीं है किसी को, वही चेंज होती रहती हैं सरकारें, क्या करेंगे अब, दिक्कत तो है ही। हां तो बिगड़ ही रहा है, सबका ही बिगड़ता है, आम आदमी को ही खर्चा चलाने में दिक्कत होती है, वही है अमीर और अमीर हो रहा है, गरीब को और गरीब कर रहे हैं।”

“असर तो पड़ेगा ही, मिडिल क्लास फैमिली वाले को तो असर पड़ेगा ही पड़ेगा, गैस सिलेंडर महंगा होगा, पेट्रोल भी महंगा होगा, तो सारे बढ़ जाते हैं रेट सब कुछ, तो सरकार गलत कर रही है। उनको तो कम ही करना चाहिये उल्टा।” एक्सपर्ट भी मानते हैं कि टैक्स जरूरी है लेकिन उनका ये भी कहना है कि मौजूदा टैक्स सिस्टम आम जनता की कमर तोड़ रहा है।

जयति घोष, अर्थशास्त्री “ये वास्तव में बहुत ही निंदनीय है और मैं तो इसे सरकार की ओर से एक क्रूर कदम भी कहूंगी क्योंकि सबसे पहले, ये सारा उत्पाद शुल्क केवल केंद्र सरकार के पास जाएगा। राज्यों को इससे कोई फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि इसने इसे इस तरह से किया है कि उसे राज्यों से राजस्व साझा नहीं करना पड़ेगा। दूसरे, इससे बाकी सभी चीजों की कीमत बढ़ जाती है, क्योंकि तेल एक जरूरी मध्यवर्ती वस्तु है, आपको परिवहन के लिए इसकी जरूरत होती है, आपको सिंचाई के लिए इसकी जरूरत होती है, आपको बिजली के लिए इसकी जरूरत होती है। इसलिए बाकी सभी कीमतें भी बढ़ जाती हैं और सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोग वास्तव में गरीब होते हैं।”

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कम कीमतों का फायदा आम लोगों को क्यों नहीं मिल रहा है। इस सवाल के जवाब में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि तेल कंपनियां अभी भी पहले से ऊंची दरों पर खरीदे गए ईंधन स्टॉक का इस्तेमाल कर रही हैं।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि “पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल की अंतरराष्ट्रीय कीमत लगभग 60 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई है। लेकिन कृपया याद रखें कि हमारी तेल विपणन कंपनियां अपने काम से अधिक परिचित हैं। यहां तक ​​कि निजी क्षेत्र की कंपनियां भी 45 दिन की अवधि के लिए स्टॉक रखती हैं और अगर आप जनवरी की शुरुआत में देखें तो उस समय कच्चे तेल की कीमत 83 डॉलर थी जो बाद में घटकर 75 डॉलर हो गई। इसलिए, उनके पास जो कच्चे तेल का स्टॉक है वो औसतन 75 डॉलर प्रति बैरल है।”

तमाम दावों-वादों के बीच उत्पाद शुल्क पर बहस जारी है। आम लोगों को लगता है कि इस मुद्दे पर और ज्यादा निष्पक्ष और पारदर्शिता होना बहुत जरूरी है।

 

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