Diwali: दिवाली नजदीक है, गोवा में दिवाली मनाने के लिए कारीगर राक्षस राजा नरकासुर की विशाल प्रतिमाएं बनाने में व्यस्त हैं, गोवा में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, इसे सभी समुदायों के लोग मिल कर मनाते
हैं।
प्रतिमाएं बनाने वाले कारीगर सधे हाथों से और बड़े ध्यान के साथ लकड़ी और कागज को बारीकी से आकार देते हैं। इनसे बनी शानदार प्रतिमाएं लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत होती हैं।
कारीगर ना सिर्फ अपने हुनर को सामने लाते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल उपायों के लिए प्रतिबद्धता को भी उजागर करते हैं। ये प्रतिमाएं पूरी तरह प्राकृतिक सामानों से बनाई जाती हैं।
कारीगर धीरज ने बताया कि “हम लोग यह अभी नरकारसुर बना रहे हैं, इसको रावण बोलते हैं, राक्षस बोलते हैं। तो उसको सुबह पांच बजे, साढ़े पांच बजे जलाते हैं उसको।
हमारा क्या है, अभी इतना साल हो गया, हम लोग बनाते हैं खाली, अभी पहले के जनम में हमारा बाप या इन लोगों का बाप ये सब बनाते थे। हम लोग इसमें रॉड या सरिया वगैरह कुछ यूज नहीं करते हैं, हम लोग सिर्फ लकड़े का, इसमें कवर्ड हैं पेपर है, लकड़ी का ही बनता है ये।”))
युवा कारीगरों के लिए नरकासुर के पुतले बनाना त्योहार की रस्म से कहीं बढ़कर है, यह उनकी सांस्कृतिक विरासत और रचनात्मकता को संजोने का नायाब तरीका है।
जैसे-जैसे दिवाली की रात नजदीक आती है, गोवा की फिजां में त्योहार का परवान चढ़ने लगता है। नरकासुर के पुतलों के दहन के समय लोगों का उत्साह देखने लायक होता है। ये है अतीत को वर्तमान के साथ जोड़ने वाली अनमोल परंपरा।