Dhanteras: धनतेरस, दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है, इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष महत्व रखती है।
दीपावली का त्योहार खुशियों और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जिसका शुभारंभ धनतेरस या धनत्रयोदशी से होता है। यह पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, इस साल धनतेरस 18 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष विधि-विधान से माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, ताकि जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति हो सके।
धनतेरस की पूजा में कई तरह के पारंपरिक और शुभ सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो पूजा को सफल और फलदायी बनाते हैं। इस पूजा सामग्री की एक सूची तैयार की गई है, जिसमें उस दिन उपयोग होने वाले सभी जरूरी सामानों के नाम शामिल हैं। इससे पूजा करने वाले आसानी से तैयारी कर सकते हैं और इस पावन अवसर को विधिपूर्वक मना सकते हैं।
धनतेरस पूजा विधि
- माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार (16 प्रकार की पूजा सामग्री) से विधिपूर्वक पूजा करें।
- भगवान धन्वंतरि को कुमकुम लगाएं, माला पहनाएं और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
- पूजा में भोग अर्पित करें, खासकर भगवान धन्वंतरि को कृष्ण तुलसी, गाय का दूध और मक्खन चढ़ाएं।
- धनतेरस के दिन पीतल की कोई वस्तु खरीदकर भगवान धन्वंतरि को समर्पित करें।
- पूजा के दौरान धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
- पूजा समाप्ति पर माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि की आरती करें।
- आरती के बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
- शाम को आटे से चौमुखा दीपक बनाएं, उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रखें।
धनतेरस के दिन मंत्र-जाप-
भगवान धन्वंतरि मंत्र
ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नम:
कितने दीपक जलाएं-
धनतेरस की रात 13 दीपक जलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन 13 दीपक बनाएं, हर एक में घी और बाती के साथ एक कौड़ी भी रखें। फिर इन दीपकों को घर के मुख्य द्वार या आंगन में जलाएं। इससे घर में धन की बढ़ोतरी होती है और भगवान कुबेर की खास कृपा बनी रहती है।
रंगोली-
धनतेरस पर रंगोली बनाने की परंपरा बहुत पुरानी और शुभ मानी जाती है। इस दिन लोग कमल का फूल, स्वस्तिक, दीपक और “शुभ-लाभ” जैसे पारंपरिक डिजाइन बनाते हैं। मुख्य दरवाजे या पूजन स्थल पर रंगोली बनाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में शांति व समृद्धि आती है।
नई झाड़ू-
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- 24 अक्तूबर 2025 (शुक्रवार) सुबह 06:28 बजे से 25 अक्तूबर 01:19 बजे तक
- 29 अक्तूबर 2025 (बुधवार) शाम 17:29 बजे से 30 अक्तूबर सुबह 06:32 बजे तक
- 30 अक्तूबर 2025 (गुरुवार) सुबह 06:32 बजे से 10:06 बजे तक
- 31 अक्तूबर 2025 (शुक्रवार) सुबह 10:03 बजे से 1 नवंबर 06:33 बजे तक