Cyber Security: दूरसंचार विभाग ने कहा कि दूरसंचार साइबर सुरक्षा के बारे में गलती से दोबारा प्रकाशित हो गई अधिसूचना को वापस ले लिया गया है।
इसके साथ ही विभाग ने स्पष्ट किया कि 22 अक्टूबर को जारी मूल संशोधन नियम पहले की तरह प्रभाव में बने रहेंगे। विभाग ने दूरसंचार साइबर सुरक्षा (टीसीएस) संशोधन नियम, 2025 जारी किया था। दूरसंचार विभाग ने कहा कि टीसीएस नियमों का उद्देश्य मोबाइल नंबर, उपकरण और अन्य दूरसंचार संसाधनों से जुड़े साइबर खतरों को रोकना और डिजिटल सेवाओं में धोखाधड़ी की घटनाओं को नियंत्रित करना है।
विभाग ने एक बयान में कहा कि अनजाने में हुई गलती से उसी अधिसूचना को 29 अक्टूबर को दोबारा प्रकाशित कर दिया गया था। लेकिन उसे 25 नवंबर को रद्द कर दिया गया। संशोधित मूल नियमों में मोबाइल नंबर सत्यापन यानी एमएनवी मंच के गठन का प्रावधान है, जिससे फर्जी खाते और पहचान से जुड़े धोखाधड़ी मामलों पर नियंत्रण रखा जा सके।
इसके अलावा, पुराने फोन या मरम्मत के बाद इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की बिक्री में प्रतिबंधित आईएमईआई नंबर की जांच अनिवार्य कर दी गई है। इससे फोन उपभोक्ताओं की सुरक्षा और चोरी हुए उपकरणों का पता लगाना आसान होगा।
नियम ये भी सुनिश्चित करता है कि बैंक, ई-कॉमर्स और अन्य डिजिटल सेवा प्रदाता संबंधित डेटा सरकार के साथ साझा करें, ताकि दूरसंचार क्षेत्र से जुड़े साइबर अपराधों का पता लगाया जा सके। विभाग ने कहा कि ये संशोधन भारत के डिजिटल परिवेश की सुरक्षा, उपकरणों की भौगोलिक मौजूदगी का पता लगाने की क्षमता और जिम्मेदार उपयोग को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
बयान के मुताबिक, “टीसीएस संशोधन नियम 2025 एक मजबूत और भविष्य के लिए तैयार दूरसंचार साइबर सुरक्षा ढांचा की ओर एक अहम कदम है, जो नवाचार, निजता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करता है।