CISF: केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के 121 जवानों की एक टुकड़ी ने मिजोरम के रणनीतिक रूप से अहम एकमात्र हवाई अड्डे लेंगपुई की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ली। CISF के प्रवक्ता ने बताया कि एक औपचारिक समारोह में हवाईअड्डे के अधिकारियों ने CISF के वरिष्ठ अधिकारियों को औपचारिक तौर पर चाबी सौंपी। ये हवाई अड्डा राजधानी आइजोल से लगभग 32 किलोमीटर उत्तर में ममित जिले में है। ये 2,500 मीटर लंबा ‘टेबल-टॉप’ रनवे वाला हवाई अड्डा है। फरवरी 1998 में निर्मित ये हवाई अड्डा देश का पहला ऐसा हवाई अड्डा है, जिसका निर्माण किसी राज्य सरकार द्वारा किया गया है।
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारत-म्यांमा और भारत-बांग्लादेश सीमाओं के निकट स्थित यह हवाई अड्डा सुरक्षा और संपर्क दोनों दृष्टिकोणों से अहम है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि निकटतम रेलवे स्टेशन 100 किमी दूर है और सिलचर में निकटतम वैकल्पिक हवाई अड्डा आइजोल से 200 किमी दूर है।’’ हवाई अड्डे से ‘इंडिगो’ और ‘एलायंस एयर’ की उड़ानें राज्य को कोलकाता, दिल्ली, गुवाहाटी और असम के सिलचर तथा मणिपुर के इंफाल से जोड़ती हैं। प्रवक्ता ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हवाई अड्डे को आतंकवाद रोधी सुरक्षा प्रदान करने के लिए 214 कर्मियों की संख्या मंजूर की है, जिनमें से 121 कर्मी डिप्टी कमांडेंट रैंक के अधिकारी की कमान में बृहस्पतिवार को कार्यभार संभाल रहे हैं।
अब तक इस हवाई अड्डे की सुरक्षा राज्य पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की संयुक्त टीम करती थी। सीआरपीएफ ने 1999 से हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए लगभग 120 कर्मियों की एक कंपनी तैनात की है। CISF ने कहा कि लेंगपुई हवाई अड्डा मिजोरम का प्रवेश द्वार है, जिसे पहाड़ों की भूमि के रूप में जाना जाता है और यहां यात्री यातायात में ‘लगातार वृद्धि’ देखी जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस वृद्धि ने यात्रियों और हवाईअड्डा परिचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित और विशेष सुरक्षा बल की आवश्यकता को दिखाया है। साथ ही आतंकवाद, तस्करी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों जैसे उभरते खतरों से भी सक्रियता से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया है। लेंगपुई देश में अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा के अंतर्गत आने वाला 69वां हवाई अड्डा है। इसे राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन सुरक्षा बल के रूप में नामित किया गया है। लेंगपुई हवाई अड्डा पूर्वोत्तर राज्य में CISF द्वारा संरक्षित पहली इकाई भी है।