Chandra Grahan: साल का अंतिम चंद्रग्रहण, जानिए जरूरी नियम और सूतक काल

Chandra Grahan: भाद्रपद मास की पूर्णिमा यानी 7 सितंबर 2025 को इस साल का आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण और पहला भारत में दिखाई देने वाला चन्द्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत सहित विश्व के कई देशों में दिखाई देगा। ज्योतिष और खगोल विज्ञान दोनों दृष्टिकोण से यह खास माना जा रहा है।पंचांग के अनुसार, चंद्र ग्रहण का आरंभ रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगा।

इस चन्द्र ग्रहण का मध्य काल रात 11 बजकर 41 मिनट पर रहेगा और समाप्ति रात 1 बजकर 27 मिनट पर होगी, इस तरह यह ग्रहण कुल मिलाकर करीब 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा।

भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा, जिस वजह से सूतक काल भी मान्य होगा। चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक के दौरान किसी भी तरह के धार्मिक कार्य नहीं किए जाते हैं, इस दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद किए जाते हैं। सूतक का प्रारम्भ दोपहर 12:बजकर 19 मिनट से हो जाएगा और सूतक समाप्त 8 सितंबर को रात्रि में 01:बजकर 26 मिनट पर होगा।

ज्योतिषाचार्य डॉ आनंद ब्ललभ जोशी का कहना है की चंद्र ग्रहण के समय बच्चों, बृद्धों और गर्भवती महिलाओं के लिये सूतक का खास ध्यान रखना होता है।चंद्र ग्रहण के दौरान पूजा पाठ ध्यान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व माना जाता है। दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

जब चंद्रमा पूरी तरह से धरती की छाया में होता है, तो उसका रंग हल्का लाल या नारंगी हो जाता है जिसको बलडी मुन भी कहा जाता है जिस वजह से इसे ब्लड मून कहते हैं। पंचांग के अनुसार 7 सितंबर को रात्रि 11 बजे से ब्लड मून दिखने लगेगा। चंद्रग्रहण के दौरान सूतक काल की मान्यता होती है, जो ग्रहण शुरू होने से करीब 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस अवधि में पूजा-पाठ, खाना पकाना और किसी भी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

ग्रहण का समय और नियम-

चंद्रग्रहण के लिए सूतक काल ग्रहण आरंभ होने से 9 घंटे पहले शुरू होता है।

सूर्यग्रहण के लिए सूतक काल ग्रहण आरंभ होने से 12 घंटे पहले शुरू होता है।

चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के सूतक काल में 3 घंटे का अंतर होता है।

इस समय भगवान की मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता।

सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

ग्रहण काल में खाना-पीना वर्जित होता है।

इस समय पूजा-पाठ या अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते।

घर और मंदिर की साफ-सफाई की जाती है।

दान-पुण्य और धार्मिक कार्य किए जाते हैं।

 

सूतक काल के नियम-

सूतक काल में पूजा-पाठ करने से परहेज करना चाहिए।

इस दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए ताकि वे और घर दोनों सुरक्षित रहें।

सूतक काल में बाल काटना या नाखून काटना उचित नहीं माना जाता है। इस समय शरीर की सफाई से जुड़ी ये चीजें टालनी चाहिए।

खाने-पीने की सभी वस्तुओं में सूतक काल के दौरान तुलसी के पत्ते डालने चाहिए, क्योंकि इससे उस भोजन में पवित्रता बनी रहती है।

इस समय भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए और अपने इष्ट देवता का स्मरण करते रहना चाहिए, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

 

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