CDS: दिल्ली में भारतीय रक्षा क्षेत्र संगोष्ठी में बोलते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भारत के व्यापक अंतरिक्ष रक्षा नजरिए को सामने रखा, जो देश की सैन्य अंतरिक्ष पहल को रणनीतिक दिशा देता है।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, “अंतरिक्ष अभ्यास…रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी ने नवंबर 2024 में पहला अंतरिक्ष अभ्यास सफलतापूर्वक आयोजित किया था। इस अभ्यास में अंतरिक्ष से जुड़ी परिसंपत्तियों और सेवाओं के लिए युद्ध संबंधी खतरों पर फोकस किया गया। अंतरिक्ष सेवाओं के नकारे जाने या उसमें अड़चन के हालात में संचालन के लिए क्षमताओं की पहचान की गई।”
उन्होंने कहा, “इस कार्यक्रम में न केवल डीजी डीएसए के अंतर्गत सेवाओं की भागीदारी देखी गई, बल्कि इसरो और डीआरडीओ जैसी एजेंसियों की भी भागीदारी देखी गई। डीएसए मौजूदा सीमाओं को कम करने और भविष्य के लिए खुद को तैयार करने के लिए एकीकृत उपग्रह संचार ग्रिड पर काम कर रहा है।”
अनिल चौहान ने कहा, “2047 तक विकसित भारत का राष्ट्रीय विजन उपग्रह सेवाओं, विनिर्माण और प्रक्षेपण कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। हमारी रणनीति साफ है कि हम घरेलू बाजारों को प्रोत्साहित करें और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दें और अत्याधुनिक चीजें बनाएं ताकि हम अंतरिक्ष में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति बना सकें। ये केवल अंतरिक्ष संस्कृति ही नहीं है बल्कि हम भौतिक रूप से भी ऐसा करना चाहते हैं।”
इस बार संगोष्ठी में अंतरिक्ष में सुरक्षित सैन्य संचालन सुनिश्चित करने के लिए एंटी-जैमिंग सिस्टम, क्वांटम एन्क्रिप्शन और साइबर नेटवर्क जैसी उन्नत तकनीकों पर चर्चा की जाएगी।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि “अंतरिक्ष अभ्यास…रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी ने नवंबर 2024 में पहला अंतरिक्ष अभ्यास सफलतापूर्वक आयोजित किया था। इस अभ्यास में अंतरिक्ष से जुड़ी परिसंपत्तियों और सेवाओं के लिए युद्ध संबंधी खतरों पर फोकस किया गया। अंतरिक्ष सेवाओं के नकारे जाने या उसमें अड़चन के हालात में संचालन के लिए क्षमताओं की पहचान की गई।”
“इस कार्यक्रम में न केवल डीजी डीएसए के अंतर्गत सेवाओं की भागीदारी देखी गई, बल्कि इसरो और डीआरडीओ जैसी एजेंसियों की भी भागीदारी देखी गई। डीएसए मौजूदा सीमाओं को कम करने और भविष्य के लिए खुद को तैयार करने के लिए एकीकृत उपग्रह संचार ग्रिड पर काम कर रहा है।”
“2047 तक विकसित भारत का राष्ट्रीय विजन उपग्रह सेवाओं, विनिर्माण और प्रक्षेपण कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। हमारी रणनीति साफ है कि हम घरेलू बाजारों को प्रोत्साहित करें और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दें और अत्याधुनिक चीजें बनाएं ताकि हम अंतरिक्ष में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति बना सकें। ये केवल अंतरिक्ष संस्कृति ही नहीं है बल्कि हम भौतिक रूप से भी ऐसा करना चाहते हैं।”