Assam: आधिकारिक बुलेटिन के मुताबिक असम में बाढ़ के हालात में सुधार हुआ है, हालांकि दो और लोगों की मौत हो गई और 12 जिलों में साढ़े पांच लाख से लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार हैलाकांडी और श्रीभूमि जिलों में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई है, ब्रह्मपुत्र नदी बेहाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बिहागुरी और पुथिमारी सहित कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
सोनितपुर जिले के किसान नुकसान पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि बाढ़ से उन्हें कितना नुकसान हुआ है। उनकी कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा पानी में डूबा है और उनकी ज्यादातर फसलें बर्बाद हो गई हैं। सड़कों पर पानी भर जाने की वजह से सामान वक्त पर श्रीभूमि जिले में नहीं पहुंच पा रहा है। इससे वहां सामान की कमी हो रही है और कीमतें बढ़ रही हैं, सब्जी थोक विक्रेताओं का कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से तय बिक्री की कीमतों से ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
लोगों की शिकायत है कि सभी सब्जियों की कीमतें तेजी से बढ़ गई हैं, जिससे उनकी परेशानी भी बढ़ गई है। श्रीभूमि जिले पर बाढ़ का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। यहां दो लाख 15 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। सरकार राज्य के 10 जिलों में लगभग 400 राहत शिविर चला रही है। इनमें 41,000 से ज्यादा विस्थापित लोग शरण लिए हुए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक 1,400 से ज्यादा गांव पानी में डूबे हुए हैं। वहीं पूरे असम में 19,000 हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि बर्बाद हो गई है।
किसानों का कहना है कि “आप जो पीछे देख रहे है ये ब्रह्मपुत्र का बाढ़ आया हुआ है ये हर साल में यहां पर आता है। हर साल से यहां आके चला जाता है। हर साल जो कृषि काम में जुड़े हुए हैं उनको हर साल में ही प्रॉब्लम होता है। जैसे कि अभी कोई पशु पालक है तो पशु पालक को भी प्रॉब्लम होता है अभी गाय को कही पर बांधने का जगह नहीं है रोड रोड पर बांध के काम चला रहे हैं। ये हर बार हर साल इस सीजन से लेके सितंबर अक्टूबर तक हर साल बाढ़ आता ही आता है।”
“सब्जी थोक विक्रेता अभी सरकार ने 26 रुपया रेट दिया है। कास्टिंग आ जाता है 30 रुपया। 28 रुपया तो कास्टिंग आ जाता है तो कहां से देगा 26 रुपया। माल आएगा तो माल बहुत तकलीफ से माल आ रहा है जो भी आ रहा है, तो पांच दिन छ: दिन कभी नौका से आ रहा कभी-कभी कोई लेके आ रहा है कोई आदमी लेके आ रहा है। तकलीफ से लेकर आ रहा है। वो कॉस्टिंग ही पड़ेगा 7000 तो 2600 कैसे बेचेगा माल।”
“बारिश हुआ था तो बारिश होने की वजह से माल आ नहीं पा रहा है। क्योंकि दोनों रास्ता बंद है। दोनों रास्ता को मेंटेन करेगा। रास्ता ठीक करेगा तब तो गाड़ी आ पाएगा। उधर कोई गाड़ी आ नहीं पा रहा है। इस वजह से लोकल से माल लेना पड़ रहा है। लोकल से लेने से लेने पड़ने से खर्चा बहुत ज्यादा पड़ रहा है। रास्ता ठीक हो जाएगा तो धीरे-धीरे मार्किट मे माल आ जाएगा तो मार्केट नोर्मल हो जाएगा।”
इसके साथ ही स्थानीय लोगों का कहना है कि “दाम तो बहुत ज्यादा है अभी.. अभी तो समझ लीजिए.. खरीदा है साठ रुपया किलो जैसे सब सब्जी है अभी.. देखिए सबसे कम होना चाहिए लेकिन अब ये सौ एक सौ बीस चल रहा है। इससे तो हर आदमी को परेशानी हो रहा है घर से निकलने के लिए भी तकलीफ हो रहा है हर रोड भी पानी से डुबा हुआ है खरीदारी में भी प्राॅब्लम हो रहा है अलग-अलग रास्तो से घूम के आना पड़ रहा है, पहले जो सब्जी का भाव बीस रुपये था अब चालीस रुपये के हिसाब में आ रहा है तो इसमे दिक्कत आ ही रहा है”