Arunachal Pradesh: गायों की तरह दिखने वाले ये जानवर मिथुन हैं जिन्हें गयाल के नाम से भी जाना जाता है। ये खास तौर पर देश के पूर्वोत्तर राज्यों में पाए जाते हैं। दूसरे मवेशियों की तरह, इनका इस्तेमाल हल चलाने या दूध उत्पादन के लिए नहीं किया जाता है। इन्हें खास तौर पर मांस के लिए पाला जाता है।
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के पापुम पारे जिले के अपर जुमी, किमिन में मिथुन मेले का आयोजन किया गया। इसका मकसद मिथुन पालन को बढ़ावा देने के तरीकों का पता लगाने के साथ किसानों को इसके बारे में जानकारी देना था।
पूर्वोत्तर के आदिवासी समुदायों में मिथुनों को बहुत सम्मान दिया जाता है। उन्हें धन और वैभव का प्रतीक माना जाता है। प्रस्तावित मिथुन अनुसंधान केंद्र से लोगों को पशुधन के जरिये अपने इलाके का विकास करने के साथ अपनी आजिविका चलाने में भी मदद मिलेगी।
डॉ. ए. के. त्यागी ने कहा, “मेला इसी वजह से हुआ था कि कैसे मिथुन को साइंटिफिकली देखभाल कर सकते हैं और किसानों का मुनाफा कैसे ज्यादा बढ़े और कैसे उनको ज्यादा पैसा मिले। उनको कैसे अच्छे से अच्छे पालें। कैसे मिथुन पालन में सुधार किया जा सकता है न केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए, बल्कि व्यावसायिक लाभ के लिए भी।”
विधायक नबाम विवेक ने कहा, “हमारा डायरेक्टर वेटनरी डायरेक्टर ने आईसीआर के आगे प्लेस किया है कि अरुणाचल में एक मिथुन रिसर्च सेंटर खोलना है। उसको उन लोगों ने एग्री किया है और मैं भी सरकार से भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि जबकि आपने सही कहा है कि अरुणाचल में इतना ज्यादा मिथुन का पालन पोशन होता है और इसमें एक रिसर्च सेंटर होना जरूरी है ताकि हमारा जो किसान है उनको तुरंत सुविधा लेने के लिए आराम मिलेगा।”
पशुपालन और डेयरी विकास निदेशालय के डॉ. टाकियो ताराम ने कहा, “हमारा मिथुन का पॉपुलेशन जो है अरुणाचल में 90 पर्सेंट कंसंट्रेटेड है। इसके बारे में बहुत हमारा सरकार जो वेटरनरी का डिपार्टमेंट गंभीरता से ले रहा है उसको आगे कैसे बढ़ाया जाए।अरुणाचल में मिथुन रिसर्च सेंटर उसको स्थापित करने के लिए हम लोग का मंत्री जी और यहां का डायरेक्टर, सेक्रेटरी सब आगे इसको प्रॉसेस कर रहा है।”