Akshaya Navami: हिंदू कैलेंडर के कार्तिक माह में मनाए जाने वाले अक्षय नवमी के पावन पर्व पर उत्तर भारत के कई पवित्र शहरों में आस्था का सैलाब उमड़ा है। ऐसा माना गया है कि अक्षय नवमी से ही सतयुग की शुरुआत हुई थी। इसलिए अक्षय नवमी के दिन को सत्य युगादि भी कहा जाता है, इस मौके पर रामनगरी अयोध्या में भारीबारिश के बावजूद बड़ी तादाद में श्रद्धालु चौदह कोसी परिक्रमा के लिए पहुंचे।
आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि “इस समय आप देख ही रहे हैं कि चारों तरफ से एक पूरा आस्था का पूरा सैलाब दिखाई पड़ रहा है। हर तरफ से लोग निकल रहे हैं और बरसात भी काफी है और उसके बाद भी लोग लगातार चल रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के लोग लगातार खड़े रह कर के हर तरह से अपनी ड्यूटी का संचालन कर रहे हैं और लगातार हम लोग इसको मॉनिटर भी कर रहे हैं कंट्रोल रूम के माध्यम से भी मौके पर जाकर के भी, ड्रोन के माध्यम से भी निगरानी की गई है और जितने भी और जितने भी बोटलनेक्स थे जहां भी हमारे एनालिसिस के साथ जहां-जहां पर ज्यादा संवेदनशीलता थी वहां पर भी हमारे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं।।”
इसके साथ ही मंडल आयुक्त राजेश कुमार ने कहा कि “व्यवस्था पूरी तरह से सुदृढ़ है। सभी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारीगण मौके पर हैं। बारिश हो रही है पर श्रद्धालुओं में जोश कम नहीं है। हमारे अधिकारी और कर्मचारी सभी लोग लगे हुए हैं मौके पर और जैसे कि यहां पर कंट्रोल रूम यहां पर नया घाट चौकी पर बना हुआ है, इसमें आप देख सकते हैं कि किस तरह की भीड़ दिख रही है कैमरे में। बहुत ही अधित उत्साह है लोगों में और उसी तरह से हमारे सभी अधिकारी कर्मचारी यहां पर लगे हुए हैं और अच्छी व्यवस्था दी जा रही है।”
हालांकि मथुरा में श्रद्धालु अक्षय नवमी पर किए इंतजामों और बुनियादी ढांचेसे खुश नहीं दिखे। कई लोगों ने कहा कि उन्हें कीचड़ और फिसलन के बीच तीन वन की परिक्रमा करनी पड़ी।
अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है, इस दिन श्रद्धालु आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं क्योंकि इसमें देवी लक्ष्मी का निवास माना जाता है। ‘अक्षय’ का मतलब होता है अमर यानी जिसका कभी क्षय न हो। ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी पर किए गए दान-पुण्य से मिलने वाला फल कभी नष्ट या कम नहीं होता।