Agriculture: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की कृषि व्यवस्था को अब आर्थिक रूप से टिकाऊ और लाभकारी बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब तक कृषि क्षेत्र को आर्थिक दृष्टि से व्यवहारिक नहीं बनाया जाता, तब तक आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) का सपना अधूरा रहेगा। गडकरी ने कहा, “ग्रामीण भारत, आदिवासी भारत, कृषि और वन क्षेत्र गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। यहां आजीविका के पर्याप्त साधन नहीं हैं, रोजगार के अवसर सीमित हैं और गरीबी व्याप्त है। इस संकट से उबरने के लिए हमें कृषि क्षेत्र में रोजगार क्षमता बढ़ाने और विविधता लाने की आवश्यकता है।”
गडकरी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि भारत के पास फिलहाल चावल, गेहूं, मक्का और चीनी जैसे खाद्यान्नों का अधिशेष उत्पादन है, लेकिन इनके भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में यह समस्या और भी गंभीर है, जहां अतिरिक्त उपज के लिए उचित भंडारण सुविधाएं नहीं हैं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। “हमारे पास अनाज और चीनी का भरपूर उत्पादन है, लेकिन यदि उसका सही तरीके से उपयोग न हो, तो वह आर्थिक बोझ बन जाता है। हमें कृषि को ऊर्जा और बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों की ओर मोड़ने की आवश्यकता है ताकि अधिशेष उत्पादन का बेहतर उपयोग हो सके,” गडकरी ने कहा।
गडकरी ने सुझाव दिया कि कृषि उत्पादों को जैव-ईंधन (biofuel), एथेनॉल (ethanol) और बिजली उत्पादन जैसे वैकल्पिक क्षेत्रों में परिवर्तित करने के प्रयास किए जाने चाहिए। इससे न केवल अधिशेष उत्पाद का उपयोग होगा, बल्कि किसानों को भी अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा। उन्होंने कहा, “जैविक ईंधन, ग्रीन हाइड्रोजन और एथेनॉल उत्पादन जैसे क्षेत्रों में कृषि की भूमिका बढ़ानी चाहिए। इससे रोजगार भी बढ़ेगा और देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता भी सशक्त होगी।”
केंद्रीय मंत्री ने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि इन क्षेत्रों में उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण और ऊर्जा से संबंधित परियोजनाएं शुरू की जाएं, तो न केवल वहां की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि बड़े पैमाने पर पलायन भी रोका जा सकेगा। नितिन गडकरी की यह टिप्पणी भारत की कृषि नीति में बड़े बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित करती है। उन्होंने न केवल वर्तमान समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया, बल्कि समाधान के रूप में कृषि को ऊर्जा क्षेत्र से जोड़ने की दिशा में भी ठोस सुझाव दिए। उनके अनुसार, आत्मनिर्भर भारत की नींव तभी मजबूत होगी, जब किसान आर्थिक रूप से सशक्त होंगे और कृषि एक लाभकारी व्यवसाय बन सकेगा।