Ujjain: भादों की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है, पितृ पक्ष सनातन धर्म के अश्विन महीने यानी क्वार के महीने में आता है। क्वार की अमावस्या तक पितृ पक्ष चलता है और यह 16 दिन अपने-अपने पूर्वजों को याद करने का सबसे सही समय माना जाता है।
पितृ पक्ष के दौरान काशी में पिशाच मोचन कुंड पर श्राद्ध करने के लिए जातक पहुंचते हैं और पंडों की सहायता से तर्पण करते हैं। काशी की तरह ही महाकाल की नगरी उज्जैन में भी सिद्ध वट पर पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, दूर-दूर से लोग पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने यहां पहुंचते हैं।
पितृ पक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, इस बार क्वार की अमावस्या 14 अक्टूबर को होगी।
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सिद्धवट मंदिर के पुजारी ने बताया कि पितृ पक्ष के इन 15 दिनों का बहुत महत्व है, यह हमारे पूर्वजों के दिन हैं। श्राद्ध हमारे पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए किया जाता है। अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए प्रार्थना करने के लिए मंदिर में दूर-दूर से आते हैं। वे यहां ‘पिंड दान’ करते हैं और फिर बाद में मूर्ति पर दूध चढ़ाते हैं।