Madhya Pradesh: किसान ने जैविक खेती से गन्ना उत्पादन कर जिंदगी में घोली असली मिठास

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में नरसिंहपुर के छोटे से गांव करताज में रहने वाले किसान राकेश दुबे ने महज दो एकड़ जमीन के टुकड़े पर जैविक खेती कर गन्ना उत्पादन का सफर शुरू किया था। एक साधारण किसान के तौर पर उन्हें खेती में हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। इन मुश्किलों से दो-चार होते हुए राकेश को जैविक खेती के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने इसमें अपने हाथ आजमाने की सोच बनाई।

नतीजे शानदार रहे, इतने शानदार कि वे खुद और दूसरे किसान भी हैरान रह गए। आज जैविक खेती से उगाए गए उनके गन्ने और उससे बनने वाले गुड़ ने दूर-दूर तक अलग पहचान बना ली है। दुबे को जैविक खेती का जुनून है। वे अब इससे जुड़े अनुभवों को दूसरे किसानों, छात्रों और खेती में दिलचस्पी रखने वाले लोगों से साझा करना चाहते हैं।

जैविक खेती में योगदान के लिए राकेश को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। राकेश के लिए जिंदगी की सच्ची मिठास सिर्फ उनके गन्ने से नहीं बल्कि उनके गांव वालों के प्यार और सम्मान से भी आती है।

जैविक खेती करने वाले किसान राकेश दुबे ने कहा, “दो एकड़ से निकलने वाले उत्पाद जब हमारे रिश्तेदार, हमारे परिवार के लोग हमसे मांगते थे तो वो कहते थे कि इसका टेस्ट अलग है। इसका स्वाद अलग है। मुझे लगा कि क्यों ना इस पर काम किया जाए। थोड़ा सा काम बढ़ाया और जिस तरह से लोगों की डिमांड आने लगी। फसल आने से पहले लोग अपने उत्पाद को बुक कराने लगे तो मेरे लिए एक रास्ता बना कि अब यहां से ये काम शुरु करना है।”

“हमने एक प्रशिक्षण केंद्र भी शुरू किया है और पिछले साल से स्किल इंडिया के तहत हम दो बैचों को हम यहां पर ट्रेनिंग दे चुके हैं। तीन एफपीओ के सदस्यों को ट्रेनिंग दे चुके हैं और कभी जैविक खेती पर ट्रेनिंग होती है, कभी मेडिशनल वैल्यू या वैल्यू एडिशन वाले गुड़ बनाने पर ट्रेनिंग होती है तो ऐसी ट्रेनिंग प्रोग्राम यहां पर, तो रेजिडेंशियल ट्रेनिंग प्रोग्राम यहां पर चलते रहते हैं दो से तीन दिन की, रहने रुकने की किसानों के लिए पूरी व्यवस्था है।”

कृषि उप-निदेशक उमेश कुमार ने कहा, “उनके द्वारा जैविक तरीके से जो गन्ना का उत्पादन किया जा रहा है और साथ ही जो जैविक तरीके से जो गन्ना का उत्पाद है। उससे गुण तैयार किया जाता है। जैविक तरीके से किया जाता है। उसके विभिन्न प्रकार के उन्होंने रूप दिए हैं। एक किलो वाले से लेकर के 10 किलो तक विशेष रूप से उन्होेंने कैंडी रूप में भी बनाए हैं उन्होंने अदरक का और कई फ्लेवर उन्होंने तैयार किए हैं और हमारे भारत के अलावा विदेश से भी इसकी मांग आ रही है और उनके द्वारा सप्लाई का जा रही है। ये हमारे नरसिंहपुर के लिए बहुत ही बड़ी उपलब्धि है।”

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