Jabalpur: सावन के पहले दिन मध्य प्रदेश के जबलपुर में चौंसठ योगिनी मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

Jabalpur: सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया, भगवान शिव के भक्त मध्य प्रदेश के जबलपुर में बने चौंसठ योगिनी मंदिर में बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कलचुरी राजवंश द्वारा 10वीं-11वीं शताब्दी के आसपास कराया गया था। ये गोलाकार मंदिर धुआंधार झरने और संगमरमर की चट्टानों के पास नर्मदा नदी के किनारे पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है।

श्रद्धालुओ का कहना है कि “भगवान भोलेनाथ को सावन का महीना बहुत अतिप्रिय है। इस महीने में सावन की फुहारों के साथ में, मेघ जो हैं वो स्वयं जल की वर्षा करते रहते हैं। हमें बहुत आनंदित लगता है ये नर्मदा के तट पर चौंसठ योगिनी का मंदिर जो है, वो भव्य और प्राचीन है।”

“मैंने बहुत सुना था इस मंदिर के बारे में ये ‘चौंसठ योगिनी’ मंदिर के नाम से जाना जाता है। विश्व विख्यात है। यहां गौरी शंकर भगवान जी का मंदिर है। ये भारत क्या कहें पूरे विश्व में एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां बैल पर सवार होकर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती एक साथ बैठे हुए हैं। कहा जाता है कि उनके शादी के समय की ये फोटो मानी जाती है।”

“सावन के महीने में शिव जी को बेल पत्र और अभिषेक विशेष रूप से किया जाता है इसलिए इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है कि सभी जगह शिवलिंग के दर्शन होते हैं। यहां साक्षात शिव-पार्वती जी नंदी पर बैठे हैं इसलिए महत्व है।”

मान्यता है कि इस मंदिर में 64 योगिनियां हैं। वर्तमान में सिर्फ 61 मूर्तियां ही सुरक्षित रह पाई हैं, लेकिन कुछ विद्वानों का कहना है कि चौंसठ योगिनी मंदिर में 81 से 84 आले हैं जिनमें योगिनियों और दूसरे देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

इन योगिनियों को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है, यह मंदिर शक्ति उपासना का प्रतीक भी है। प्राचीन काल में यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा दी जाती थी। चौंसठ योगिनी मंदिर की खासियत भगवान शिव और माता पार्वती की अनूठी प्रतिमा है, जिसमें दोनों नंदी पर एक साथ विराजमान हैं।

जबलपुर का चौसठ योगिनी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इतिहास, वास्तुकला और तंत्र-साधना का संगम है। ये मंदिर न केवल भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की अनूठी प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे तांत्रिक शिक्षा और साधना के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को नर्मदा नदी और आसपास के मनोरम और मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलते हैं।

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