Bhopal: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र ने ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना के लिए समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

Bhopal:  मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र ने ‘ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना’ को संयुक्त रूप से शुरू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। अधिकारियों ने इस परियोजना को दुनिया का सबसे बड़ा भूजल पुनर्भरण कार्यक्रम बताया, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस परियोजना से दोनों राज्यों के लोगों को लाभ होगा।

उन्होंने कहा कि ये परियोजना विदर्भ के अकोला, बुलढाणा और अमरावती जिलों में खारे भूजल की समस्या को दूर करने में मदद करेगी। फडणवीस, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ परियोजना को संयुक्त रूप से क्रियान्वित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। फडणवीस ने कहा, “इस परियोजना से दोनों राज्यों को लाभ होगा। ये महाराष्ट्र के लिए आवश्यक है, खासकर उन जगहों के लिए जहां खारे पेयजल की समस्या है। इससे अकोला, बुलढाणा और अमरावती (पूर्वी महाराष्ट्र में) के ‘खारे पानी वाले क्षेत्र’ की संरचना बदल जाएगी। इन इलाकों में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।”

मध्यप्रदेश के सिंचाई मंत्री तुलसी सिलावट और उनके महाराष्ट्र समकक्ष गिरीश महाजन भी समारोह में मौजूद थे, उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश भाई की तरह हैं। फडणवीस ने याद दिलाया कि पूर्वी महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र कभी मध्यप्रदेश का हिस्सा था। उन्होंने कहा, “मैं नागपुर से हूं जो कभी मध्यप्रदेश की राजधानी हुआ करता था (तब इसे ‘मध्य प्रांत और बरार’ कहा जाता था) हमारा पुराना रिश्ता है।”

फडणवीस ने कहा कि करार पर हस्ताक्षर करने से पहले, जल मुद्दों पर मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र अंतर-राज्यीय नियंत्रण बोर्ड की बैठक 25 ‍वर्ष के लंबे अंतराल के बाद हुई। उन्होंने कहा कि बैठक में, दोनों राज्यों ने कन्हान नदी पर जामघाट परियोजना सहित अन्य परियोजनाओं को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जो नागपुर की जल आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है।

कन्हान नदी, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से निकलती है और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से होकर बहती है। फडणवीस ने कहा कि उन्होंने 27 वर्ष पहले 1998 में मध्यप्रदेश में अंतर-राज्यीय नियंत्रण बोर्ड की बैठक में भाग लिया था। उन्होंने कहा, “मैं (तत्कालीन नागपुर महापौर के रूप में) महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ आया था और हमने इस योजना पर चर्चा की थी लेकिन अब वे चर्चाएं फलदायी हो रही हैं।”

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश के अपने समकक्ष यादव को धन्यवाद देते हुए कहा, “हम इस पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं। इससे महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश दोनों को लाभ होगा।” फडणवीस ने बताया, “अगली अंतर-राज्यीय नियंत्रण बोर्ड की बैठक अक्टूबर में होगी।” उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में अंतर-राज्यीय जल परियोजनाओं को बढ़ावा दिया। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र ने केंद्र सरकार से ताप्ती परियोजना को केंद्रीय योजना के तहत लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि वो और यादव फिर से केंद्र से संपर्क करेंगे और केन-बेतवा परियोजना के लिए इस्तेमाल किए गए सूत्र के तहत वित्तीय सहायता का अनुरोध करेंगे।

फडणवीस ने कहा कि ताप्ती परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी पुनर्भरण योजना है। ताप्ती नदी (महाराष्ट्र में तापी के नाम से जानी जाती है) मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से निकलती है और महाराष्ट्र के कई हिस्सों से होकर बहती है। इस परियोजना का उद्देश्य पीने के लिए नागपुर सहित उत्तर-पूर्वी महाराष्ट्र और सिंचाई के लिए दक्षिणी मध्यप्रदेश, विशेष रूप से छिंदवाड़ा जिले में पर्याप्त पानी पहुंचाना है।

अधिकारियों ने बताया कि ‘ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना’ का कुल जल उपयोग 31.13 हजार मिलियन क्यूबिक (टीएमसी) फीट होगा, जिसमें से 11.76 टीएमसी मध्यप्रदेश और 19.36 टीएमसी महाराष्ट्र को आवंटित किया गया है। महाराष्ट्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि “इस परियोजना के कारण मध्य प्रदेश को और महाराष्ट्र दोनों को बड़ा फायदा होने वाला है। करीब एक लाख 31 हजार हेक्टेयर जमीन मध्य प्रदेश की और दो लाख 30 हजार जमीन महाराष्ट्र की सिचाई के तहत आने वाली है।” इसके साथ ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि “हमने जो भूगर्भ भंडारण का जो नया अध्याय प्रारंभ किया है ये विश्व का सबसे अनोखा, पूरे विश्व में इतना अच्छा प्रोजेक्ट कहीं नहीं है। ये प्राकृतिक है। परमात्मा की दया है।”

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