Nagpur: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले और उसके बाद भारत द्वारा की गई कार्रवाई के पश्चात राजनीतिक वर्ग में दिखी आपसी समझ जारी रहनी चाहिए और एक स्थायी विशेषता बननी चाहिए।
भागवत ने आरएसएस स्वयंसेवकों के लिए आयोजित ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग’ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘समाज ने एकता का संदेश भी दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस जघन्य आतंकी हमले के बाद लोग दुखी और आक्रोशित थे और चाहते थे कि दोषियों को सजा मिले, कार्रवाई की गई और सजा दी गई। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद की गई कार्रवाई में सभी ने देश के निर्णय करने वालों का साहस देखा। पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद कार्रवाई की गई। इसमें एक बार फिर हमारी सेना का पराक्रम दिखा, प्रशासन की दृढ़ता भी देखने को मिली।’’
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘राजनीतिक वर्ग ने भी आपसी समझ दिखाई। समाज ने भी एकता का संदेश दिया। यह जारी रहना चाहिए और स्थायी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा के मामलों में आत्मनिर्भर होना चाहिए। पाकिस्तान का नाम लिए बगैर भागवत ने कहा, ‘‘जो लोग भारत से सीधी लड़ाई नहीं जीत सकते, वे हजारों घाव देने की नीति और छद्म युद्ध छेड़कर हमारे देश को लहूलुहान करना चाहते हैं।’’
पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और पी वी नरसिंह राव के मंत्रिमंडल में शामिल रहे आदिवासी नेता अरविंद नेताम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय नाम से आयोजित 25 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में देश भर से 840 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। यह शिविर 12 मई को नागपुर के रेशिमबाग क्षेत्र में स्थित डॉ हेडगेवार स्मृति मंदिर में शुरू हुआ था।
छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले नेताम ने कहा कि किसी भी राज्य सरकार ने धर्मांतरण के मुद्दे को अब तक गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आरएसएस ही एकमात्र संस्था है जो इस क्षेत्र में हमारी मदद कर सकती है।’’ नेताम ने कहा कि आरएसएस को नक्सलवाद समाप्त होने के बाद केन्द्र सरकार पर कार्ययोजना बनाने के लिए दबाव डालना चाहिए, ताकि यह समस्या फिर से न पनपे। नेताम ने कहा कि किसी भी सरकार ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 या पेसा को लागू नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार चुप है और यहां तक कि उद्योगपतियों की मदद कर रही है।’’ पेसा अधिनियम का उद्देश्य ग्राम सभाओं के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासन सुनिश्चित करना, उन्हें संसाधनों का प्रबंधन करने तथा अपने समुदायों से संबंधित निर्णय लेने में सशक्त बनाना है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि “एक विशेष वातावरण में यह अपना समापन कार्यक्रम संपन्न हो रहा है। संघ के स्वयंसेवकों के लिए शताब्दी समारोह शुरू होने के पूर्व का ये वर्ग है। 100वां साल चल रहा है वो पूरा होगा विजयादशमी को। उसके बाद उस निमित्त जो भी योजना हमारी है वो वर्षभर चलेगी। परंतु एक तात्कालिक वातावरण जो खड़ा हुआ है देश में पहलगाम में जो हमला हुआ नृशंस हमला हुआ और हमारे नागरिकों को हमारे देश के अंदर आकर आतंकवादियों के द्वारा मारा गया, तो स्वाभाविक सबके मन में दुख था, क्रोध था और अपराधियों को शासन होना चाहिए उसकी बहुत इच्छा थी।
तो कुछ कार्रवाई हुई और शासन किया गया। इस सारे प्रसंग में अपने सेना की क्षमता और वीरता फिर से एक बार चमक उठी। रक्षा के विषय को लेकर के तरह तरह के जो अनुसंधान हमारे होते हैं, उनका कारगर होना साबित हो गया। उनके पराक्रम के साथ निर्णय लेना और करने के लिए कहना, ये जिनका दायित्व है ऐसे शासन-प्रशासन के लोग उनकी दृणता भी हम सबने देखी है। हमारे पूरे राजनयिक वर्ग में सभी दलों के राजनायिकों में चिर प्रतिक्षित एक सूझबूझ और आपसी सहयोग देश के हित में सारे मतभेद भूलकर इसको भी हम देख रहे हैं और संपूर्ण समाज ने अपनी एकता का एक बहुत बड़ा दृश्य खड़ा किया है।”