Maharashtra: मासिक धर्म हो रहा है या नहीं इसका पता लगाने के लिए ठाणे के एक निजी स्कूल की छात्राओं के कपड़े उतरवाए जाने के आरोप में पुलिस ने प्रधानाचार्य और एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि महाराष्ट्र में ठाणे जिले के शाहपुर इलाके में स्थित स्कूल के शौचालय में खून के धब्बे देखे जाने के बाद यह पता लगाने के लिए छात्राओं के कपड़े उतरवाए गए कि उन्हें मासिक धर्म हो रहा है या नहीं।
इस घटना से छात्राओं के अभिभावकों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने स्कूल परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और इस घटना में शामिल प्रबंधन एवं शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। शाहपुर पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने स्कूल की प्रधानाचार्य और एक परिचारिका को गिरफ्तार कर लिया, उन पर आरोप है कि उन्होंने यह पता लगाने के लिए छात्राओं के कपड़े उतरवाकर जांच की कि उन्हें मासिक धर्म हो रहा है या नहीं।
स्कूल की एक छात्रा के अभिभावक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार पांचवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक की छात्राओं को स्कूल के सभागार में बुलाया गया और उन्हें प्रोजेक्टर के माध्यम से शौचालय और फर्श पर लगे खून के धब्बों की तस्वीरें दिखाई गईं और पूछा गया कि क्या उनमें से किसी छात्रा को मासिक धर्म हो रहा है।
शिकायत के अनुसार इसके बाद इन लड़कियों को दो समूहों में बांटा गया, जिन लड़कियों ने कहा कि उन्हें मासिक धर्म हो रहा है, उनसे शिक्षिकाओं को अपने अंगूठे का निशान देने को कहा गया लेकिन जिन छात्राओं ने कहा कि उन्हें मासिक धर्म नहीं हो रहा है, उन्हें एक परिचारिका एक-एक करके शौचालय ले गयी और उनकी जांच की।
पुलिस ने बताया कि शिकायत के आधार पर स्कूल की प्रधानाचार्य, चार शिक्षकों, परिचारिका और दो न्यासियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ठाणे ग्रामीण) राहुल जाल्टे ने बुधवार को बताया कि जब अभिभावकों को छात्राओं की इस प्रकार जांच किए जाने के बारे में पता चला, तो वे स्कूल में इकट्ठा हो गए और उन्होंने संबंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ देर के लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई और गुस्साए अभिभावकों ने कार्रवाई की मांग की।’’ अधिकारी ने बताया कि पुलिस पूरी घटना की जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि आठ लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 74 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और धारा 76 (महिला के कपड़े उतरवाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
डीएसपी जगदीश शिंदे ने कहा कि “स्कूल में जो हादसा हुआ, उसके बारे में जैसे ही आज (गुरुवार) हमको पता चला वैसे ही पुलिस पहुंची वहां और वहां पर पोक्सो एक्ट के अंतर्गत उन लोगों के ऊपर एफआईआर रजिस्टर की है।”
इसके साथ ही अभिभावकों का कहना है कि “शौचालय में पानी नहीं था, कक्षा पांच से 10 तक पढ़ने वाली लड़कियों को स्कूल के कन्वेंशन हॉल में बुलाया गया और प्रोजेक्टर से शौचालय और फर्श पर खून के धब्बों की तस्वीरें दिखाई गईं। छात्राओं से पूछा गया कि क्या उनमें से किसी को मासिक धर्म हो रहा है। फिर लड़कियों को दो समूहों में बांटा गया।
जिन लड़कियों ने कहा कि उन्हें मासिक धर्म हो रहा है, उनसे शिक्षकों को अपने अंगूठे का निशान देने को कहा गया। लेकिन जिन लड़कियों ने कहा कि उन्हें मासिक धर्म नहीं हो रहा है, उन्हें एक-एक करके शौचालय ले जाया गया और एक महिला परिचारिका उनके प्राइवेट पार्ट की जांच कर रही थी। जिन लड़कियों को मासिक धर्म हो रहा था, उन्हें शिक्षक ने परेशान किया।”