Maharashtra: ठाणे की कोर्ट ने जासूसी करने वाले इंजीनियर की पुलिस हिरासत बढ़ाई

Maharashtra: महाराष्ट्र में ठाणे की एक अदालत ने कथित जासूसी और युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बारे में संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को साझा करने के आरोप में गिरफ्तार मैकेनिकल इंजीनियर रवींद्र वर्मा की पुलिस हिरासत गुरुवार तक बढ़ा दी है। अभियोजन पक्ष ने दलील दी है कि उसके सहकर्मियों से पूछताछ की जरूरत है।

रक्षा प्रौद्योगिकी फर्म में काम करने वाले 27 साल के जूनियर इंजीनियर को पिछले हफ्ते आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था। वो ठाणे के पड़ोसी जिले कलवा का निवासी है।

पिछले रिमांड की समय सीमा खत्म होने पर सोमवार को वर्मा को ठाणे की एक अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने वर्मा की हिरासत अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए अदालत को वर्मा के कार्यस्थल पर जांच करने तथा उसके सहकर्मियों से पूछताछ करने की जरूरत बताई।

पुलिस के अनुसार फेसबुक पर महिला बनकर पाकिस्तानी एजेंट द्वारा हनीट्रैप में फंसाए जाने के बाद वर्मा को गोपनीय जानकारी देने के लिए फुसलाया गया। पुलिस ने कहा था कि वर्मा ने स्केच, डायग्राम तथा ऑडियो नोट्स के माध्यम से युद्धपोतों तथा पनडुब्बियों के बारे में संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव को साझा की तथा बदले में भारत और विदेश में अलग-अलग बैंक खातों से पैसा प्राप्त किया।

बचाव पक्ष के वकील राजहंस गिरासे ने दलील दी कि वर्मा को फंसाया गया है और पुलिस के पास उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि वर्मा की गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि एटीएस ने कानूनी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया। वकील ने दलील दी कि अदालत ने कोई ठोस सबूत नहीं देखा है और उनके पास से बरामद नीली डायरी में केवल काम से संबंधित नोट्स हैं।

उनके बैंक खाते में बड़े लेन-देन के बारे में बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि प्रीति नाम की एक लड़की ने उनकी भतीजी के खर्च के लिए 2,000 रुपये भेजे थे, पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने के खिलाफ दलील देते हुए उन्होंने कहा कि वर्मा से पहले ही दस्तावेज बरामद किए जा चुके हैं।

वर्मा एक रक्षा प्रौद्योगिकी फर्म में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करता था और अपने काम के कारण उसे दक्षिण मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड तक पहुंच हासिल की थी। एटीएस ने कहा था कि वो नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों पर भी जाता था, एटीएस को संदेह है कि उसने पाकिस्तानी एजेंट के साथ पनडुब्बियों और युद्धपोतों के नाम भी साझा किए थे।

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