Maharashtra: एक दृष्टि बाधित मासूम बच्च, जिसे इस दुनिया ने जन्म लेते ही ठुकरा दिया, जिसे जलगांव रेलवे स्टेशन के पास एक कचरे के डिब्बे में छोड़ दिया गया, वो बच्ची अब सभी बाधाओं को पार कर एक अधिकारी बन चुकी हैं। लोगों को प्रेरणा देने वाली ये कहानी है 95 फीसदी दृष्टिबाधित 26 साल की माला पापलकर की।
अपने मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों के साथ माला ने MPSC यानी महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की है। उन्हें अब नागपुर कलेक्ट्रेट में राजस्व सहायक के पद पर नियुक्त किया गया है। अपनी जिंदगी का नया अध्याय शुरू करते हुए माला अब समाज की सेवा करने जा रही हैं। उन्होंने जिस अकादमी में पढ़ाई की, उससे जुड़े लोग उनकी लगन, मेहनत और मेमोरी पावर को बताना नहीं भूलते।
माला को एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पाला पोसा और आगे बढ़ने की राह दिखाई। वे उनका शुक्रिया अदा करना नहीं भूलतीं। माला ने 2024 में MPSC संयुक्त ग्रुप सी मुख्य परीक्षा पास की। इसके नतीजे का ऐलान पिछले हफ्ते हुआ और अब उन्हें नियुक्ति पत्र भी मिल चुका है। सपना सच होने के बाद माला अब अपनी जिंदगी में नई उड़ान भरने को तैयार है।
यूनिक एकेडमी के मैनेजर अमोल पाटिल ने कहा, “माला ने यहां पर पढ़ाई जो है तो वो ऑनलाइन कर के की है, इवन ऑडियो बुक से भी तैयारी की थी। रेगुलर क्लासेस वो अटेंड करती थी और उसकी मेमोरी भी बहुत अच्छी है इसलिए जो भी पढ़ती थी, या जो भी सुनती थी, ईवन तो उसे पूरी तरह से याद रहता था। जैसे ही ये पहला अटेंप्ट उसने MPSC यानी महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग का दिया है उसी की जो कंबाइन ग्रुप सी एग्जामिनेशन है, उसमे से इन्होंने उसे रिवेन्यू असिस्टेंटके पद के लिए उसका चयन हुआ
है।”
छात्रा माला पापलकर ने कहा, “बचपन में जलगांव के बलगांव गांव में रहती थी। वहां से मैं सात-आठ साल की थी तब यहां पर आई और बाबा ने मुझे अपना नाम दिया, अपना नाम देकर पालाकत्वा स्वीकारा और ऐसे मेरी यहां शुरुआत हुई और मैं यहां पर मुझे यहां पर 25 साल हो गए।”