Maharashtra: अगर आप धार्मिक सद्भाव के प्रतीक की तलाश में हैं तो महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के इस गांव से बेहतर कोई जगह नहीं है। शिर्द गांव में मुसलमान और हिंदू न केवल एक-दूसरे के धार्मिक त्योहारों में शामिल होते हैं, बल्कि कई हिंदू रमजान के महीने में रोजा भी रखते हैं।
दोनों समुदायों की एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होने की वजह से शिर्द में होने वाला धार्मिक आयोजन बड़े सामुदायिक उत्सव में बदल जाता है। कई ग्रामीणों का कहना है कि ये गांव की महिलाएं ही हैं, जिन्होंने इन त्योहारों के दौरान धार्मिक बंटवारे की खाई पाटने की दिशा में कदम बढ़ाया है। लगभग 5000 की आबादी वाले शिर्द गांव के लोग त्योहारों को धार्मिक सीमाओं से परे मिलकर मनाने की अपनी क्षमता पर गर्व महसूस करते हैं।
ग्रामीणो ने कहा, “हमारे गांव की खासियत ऐसी की हिंदू मुस्लिम अलग नहीं रहते। हमारे समाज में वो हिंदू मुस्लिम रहते। मुस्लिम के समाज में हम रहते। ये हम ऐतराज नहीं करते। सब एक मिल कर करते चाहे कौन सा भी त्योहार हो। इसका रहे तो हम रहते और हमारा रहे तो वो रहते। हिंदू समाज 10-20 टके रोजी पकड़ते। हम बहुत मानते इसको।”
“हमारे गांव की ऐसी खासियत है चाहे कौन सा भी त्योहार हो चाहे गुड़ी पड़वा हो, हमारे गणपति हो, दुर्गा हो। हम उसमें शामिल रहते। हमारे ईद में हमारे पूरे मराठी भाई हिंदू भाई टोटल पूरी साथ देते वो। दरगाह के बाद पूरी गांव में घोड़ा घूमता हमारा। जब तक फाइनल नहीं होता हमारा काम तब तक नहीं छोड़ते हम। करीब 50 से 60 महिलाएं हैं जो हमारे साथ में इफ्तार करतीं। हमारे अजान की आवाज आती बराबर, जैसा हम करते वैसा वो करते।”