Ganesh Chaturthi: कश्मीर की खूबबसूरत वादियां लगातार दूसरे साल “गणपति बप्पा मोरया” से गूंजेंगी, पिछले साल की तुलना में इस साल घाटी में ज्यादा जगहों पर गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। इस साल गणेश उत्सव श्रीनगर, अनंतनाग और कुपवाड़ा में मनाया जा रहा है, कश्मीर में गणेश उत्सव के प्रसार में महाराष्ट्र में पुणे के प्रमुख गणेश मंडलों की भूमिका अहम है।
पिछले साल भाऊसाहेब रंगारी गणेश मंडल के ट्रस्टी, पुनित बालन की कोशिशों से मूर्ति की नकल घाटी में भेजी गई थी, इसे श्रीनगर के लाल चौक में गणपतियार मंदिर में डेढ़ दिन तक रखा गया था। इस साल भव्य समारोह में ढोल की थाप के बीच, पुणे की तीन मशहूर गणपतियों की नकल कश्मीरी पंडितों को दी गई है, वह पुणे से मूर्तियां लेकर कश्मीर जा रहे हैं, इन मूर्तियों को गणेश चतुर्थी के दिन- सात सितंबर को स्थापित किया जाएगा।
कश्मीरी युवकों का कहना है कि “जो हमारी मेज्योरिटी कम्युनिटी है, सब पूरा सपोर्ट में है विसर्जन के लिए और सारे लोग खास कर अगर हिंदू 10 परसेंट हैं तो मुसलमान 100 परसेंट वेटिंग कर रहे हैं, इस मूर्ति को आने के लिए और हम विसर्जन करेंगे, इसलिए। तो कश्मीर का अभी जो माहौल है बहुत अच्छा है। ब्रदरहुड बढ़िया है। सारे लोग सपोर्टिव हैं। इसी वजह से हम पिछले साल भी कर पाए और इस साल भी करेंगे।”
“जो हमारे फ्रेंड्स हैं, जो हमारे मित्र हैं, सब लोगों ने बोला कि इस बार हमें दो मूर्ति एक्स्ट्रा चाहिए, क्योंकि हमें गणपति के साथ नॉर्थ कश्मीर, कुपवाड़ा में और साउथ कश्मीर अनंतनाग में पांच दिन का गणेश उत्सव करना है। तो इस साल भी वहां तीन जगह गणेश उत्सव सेलेब्रेट होगा और मुझे लग रहा है कि यहां तो अभी वैली में अमन और शांति की राह दिख रही है। इसलिए ये गणेश उत्सव वहां सेलेब्रेट हो रहा है।”
इसके साथ ही कहा कि “इस साल जैसा मैंने अभी कहा कि पिछली बार हमने श्रीनगर गणपति मंदिर है, वहां पर सेलेब्रेट किया था गणपति जी को। आई थिंक 35 वर्षों के बाद और पुनीत दादा की हेल्प से और उनके इनिशियेटिव से इस साल हम साउथ कश्मीर में और नॉर्थ कश्मीर में इसको इनिशियेट कर रहे हैं। पांच दिन का हमने गणपति वहां पर शेड्यूल करा हुआ है और पांचवें दिन हमने अपने कल्चर के हिसाब से हवन रखा है। प्रसाद रखा है और उसके बाद विसर्जन हमने चार बजे के करीब रखा हुआ है।”