Srinagar: तेहरान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही भारतीय छात्रा हफ्सा के माता-पिता चिंतित हैं, ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष बढ़ने के साथ-साथ उनकी चिंता भी बढ़ती जा रही है, संघर्ष शुरू होने के बाद श्रीनगर की हफ्सा ने अपने परिवार को कुछ वीडियो कॉल किए। उसने बताया कि वहां पर सैकड़ों छात्रों की तरह वो भी डरी हुई है, उन्हें लगातार बमों और मिसाइलों की आवाजें सुनाई देती हैं।
डरी हुई बेटी से तेहरान की हालत जानने पर हफ्सा के माता-पिता ने सरकार अपील की है कि उसे फौरन सुरक्षित लाया जाए, हफ्सा के माता-पिता की तरह ईरान में पढ़ रहे श्रीनगर के दूसरे छात्रों का परिवार भी चिंतित है। मोहम्मद अयूब डार ने भी सरकार से तेहरान में फंसे छात्रों को लाने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है, कुछ छात्रों के घरवालों ने रूस के साथ संघर्ष शुरू होने पर यूक्रेन से भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी को याद किया, वह सरकार से ऐसा ही कदम उठाने का आग्रह कर रहे हैं।
कई लोगों ने कहा कि उन्हें इस बात से राहत मिली है कि छात्रों को सुरक्षित जगह ले जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। श्रीनगर के एक सलाहकार ने छात्रों को तेहरान के कॉलेज में दाखिला दिलाने में मदद की थी। उसने बताया कि वे लगातार उन छात्रों के संपर्क में हैं। उन्होंने छात्रों के घरवालों से धीरज रखने की अपील की है।
इस बीच बारामूला में कुछ अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, उन्होंने सरकार से फौरन कार्रवाई करने की मांग की। विदेश मंत्रालय ने ईरान में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के अभिभावकों को कुछ राहत दी है। मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि तेहरान में भारतीय दूतावास लगातार हालात पर नजर रखे हुए है और छात्रों की हिफाजत का ख्याल रख रहा है, कुछ छात्रों को सुरक्षित जगहों पर भेजा भी गया है।
हफ्सा की मां रेहाना ने बताया कि “मेरी बेटी है और उनका थर्ड ईयर है, पांचवें सेमेस्टर में है वो और वो शहीद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी से है। तो पिछले शुक्रवार से वो थोड़ा बहुत कर रहे थे सर्वाइव अपने हिसाब से, हमें ही बोल रहे थे कि हम ठीक हैं। यह मांग की तरह नहीं है कि हम कुछ मांग रहे हैं, हम मोदी जी से हाथ जोड़कर विनती कर रहे हैं कि कम से कम हमारे बच्चों के लिए कुछ तो बोलें… कहीं थोड़ा दबाव डालें… उनके लिए कुछ आवाज उठाएं।
हम ऐसे ही चुपचाप नहीं बैठ सकते… हम अपने बच्चों को मरने के लिए वहां नहीं छोड़ सकते। जब यूक्रेन से भारतीय छात्रों को तुरंत निकाला गया था। तो इस बार क्यों नहीं? हमें वाकई समझ में नहीं आ रहा है कि अब ऐसा क्यों हो रहा है। दूतावास उन्हें उचित जवाब नहीं दे रहा है और ऐसा क्यों नहीं हो रहा है – हमें वाकई समझ में नहीं आ रहा है।”
इसके साथ ही हफ्सा के पिता मोहम्मद याशिर ने कहा कि “बिल्कुल हालात पस्त थे वहां पर। बमबारी हो रही है रुक-रुक कर, रात को ज्यादा हो रही है। बहुत तनाव में हैं, पूरा परिवार तनाव में है, अभी हम परेशान हैं जो हालात वहां पर हुए हैं। उसी वजह से हम चाहते हैं कि उनको बाहर निकाला जाए।”
भारतीय छात्रों सैयद रहमान कादरी और इमरोज कादरी के माता-पिता सुहैल ने कहा कि “भारतीय दूतावास ने मुझसे संपर्क किया। मैं उनका बहुत आभारी हूं, वह केवल मुझसे संपर्क नहीं कर रहे थे, वे अन्य अभिभावकों को भी आश्वस्त कर रहे थे कि चिंता की कोई बात नहीं है और उन्होंने सराहनीय और अद्भुत काम किया।
हमारे देश के पास अतीत में बहुत अच्छे अनुभव रहे हैं जैसे यूक्रेन में ऑपरेशन गंगा चलाया गया था, जिसमें 18000 छात्रों को वहां से हवाई मार्ग से निकाला गया था। इसलिए हमें अपने देश के नेतृत्व पर पूरी उम्मीद है। हमें अपने विदेश मंत्री पर पूरी उम्मीद है। वे काम करेंगे। मैं उनका बहुत आभारी हूं। मुझे खबर मिली कि बच्चों को स्थानांतरित किया जा रहा है, जो मेरे लिए थोड़ी राहत की बात है।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि “ईरान में भू-राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार, हाल ही में देश पर इज़राइल ने हमला किया था और वे जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं। इसके कारण, हमारे बच्चे वहां फंसे हुए हैं क्योंकि वहां हवाई क्षेत्र बंद है और वे वापस घर नहीं आ सकते। आज हम यहां भारत सरकार, खासकर विदेश मंत्रालय से अनुरोध करने के लिए एकत्र हुए हैं कि स्थिति बिगड़ने से पहले किसी भी कीमत पर हमारे बच्चों को वहां से निकाला जाए।”