Srinagar: कश्मीर ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ने 35 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल को कारगिल के लिए परिचयात्मक दौरे पर रवाना किया।
इस पहल का मकसद कारगिल की उन जगहों की ओर लोगों का ध्यान खींचना है जो अब तक पर्यटकों की लिस्ट में शामिल नहीं थे। इस टूर के जरिए मुश्कोह, सुरु और आर्यन घाटियों जैसी जगहों पर पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। ये केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले की ऐसी खूबसूरत जगहें हैं जिनसे लोग अब तक अनजान हैं।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के सलाहकार नासिर असलम वानी ने इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने कहा कि भले ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख अब एक राज्य का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन दोनों क्षेत्रों के बीच पारंपरिक संबंध अब भी बरकरार हैं।
टीएएके के अध्यक्ष रऊफ त्रांबू ने कहा कि “काफी टाइम से हम सोच रहे थे कि कारगिल का जो एरिया है बहुत ही ज्यादा खूूबसूरत है तो उसको भी एक्सप्लोरेशन करके, उसको भी हम अपने प्रोडक्ट में क्लब करेंगे ताकि कश्मीर का जो कारगिल का एरिया है, क्योंकि अब डिस्टेंस भी कम हो गई है और आने वाले दिनो में टनल से भी पूरे साल कनेक्ट हो जाएगा। ये एक पहल है। उसी सिलसिले में हम जा रहे हैं।
तकरीबन 30-35 हमारे फ्रंटलाइन ऑरेटर्स हैं, कारगिल डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की इनविटेशन पर हम वहां जा रहे हैं, जो वहां के स्टेकहोल्डर हैं। मेरा मकसद यही है कि कारगिल का जो खूबसूरत एरिया हैं उनको टूरिज्म मैप पे लाके उनको हम प्रोमोट करेंगे, सेल करेंगे, डोमेस्टिक मार्केट और इंटरनेशनल मार्केट में।”
इसके साथ ही जम्मू कश्मीर मुख्यमंत्री के सलाहकार “ट्रेडिशनली हम लोगों को यही टूरिज्म का सर्किट रहता था, जो हमारा यूएसपी था। जम्मू, कश्मीर, लद्वाख। लद्दाख में जो कारगिल था, इसको एडवेंचर टूरिज्म का हम कैपिटल मानते थे। जो भी पिच थी उनकी वहां काफी तदाद है और प्रेफर करते थे।
खासकर जो फोरेन ट्रैवलर्स आते थे रेवेन्यू टूरिज्म के लिए, वो प्रेफर करते थे कारगिल को। ज्योग्राफिकली अगर हम को अलग भी किया गया, वो अलग यूूटी है, हम अलग यूटी हैं, लेकिन दिल से, बिजनेस के लिहाज से. कारोबारी ताल्लूकात के लिहाज से हम एक ही हैं। आज भफी एक ही हैं। और इन लोगों ने बड़ी अच्छी पहल की, क्योंकि अगर हम कश्मीर में टूरिज्म रिवाइव करना चाहते हैं, तो करगिल में भी टूरिज्म रिवाइव कर सकते हैं।”