Srinagar: जम्मू-कश्मीर के पर्यटन उद्योग को फिर से पटरी पर लाने के लिए, ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी टीएएआई ने श्रीनगर से अपना राष्ट्रव्यापी ‘रैली फॉर वैली’ अभियान शुरू किया है, इस पहल का मकसद केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटन को फिर से बढ़ावा देना है, जिसे 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है।
भारत भर से लगभग 75 प्रमुख ट्रैवल एजेंटों का एक प्रतिनिधिमंडल वर्तमान में कश्मीर घाटी का दौरा कर रहा है। इसमें श्रीनगर में प्रतिष्ठित डल झील समेत कई प्रमुख जगहें शामिल हैं। इन प्रतिनिधियों का मिशन जमीनी हालात का आकलन करना, टूरिज्म उद्योग से जुड़े स्थानीय लोगों से बातचीत करना और एक साफ संदेश देना है कि ‘कश्मीर सुरक्षित है, खुला है और एक बार फिर पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार है।
पहलगाम हमले के बाद, हजारों बुकिंग रद्द कर दी गईं, जिससे पर्यटन पर निर्भर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा। इसके असर को समझते हुए टीएएआई टूरिज्म से जुड़े लोगों के साथ बातचीत करके और जागरूकता अभियानों के माध्यम से जम्मू कश्मीर पर्यटन को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। टीएएआई के साथ 2,500 से ज्यादा ट्रैवल कंपनियां जुड़ी हैं।
इससे पहले मई में महाराष्ट्र और गुजरात के पत्रकारों, लेखकों और टूर ऑपरेटरों समेत लगभग 60 लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जम्मू कश्मीर आया था। प्रतिनिधिमंडल ने पहलगाम में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ एक बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें पर्यटन को फिर से पटरी पर लाने और क्षेत्र में विश्वास बहाली के महत्व पर जोर दिया गया।
ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएएआई) के अध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा कि “यहां आने का मकसद था कि कश्मीर में टूरिज्म बहाल किया जाए। जो हादसा हुआ था अप्रैल में, उसके बाद टूरिज्म यहां होना ही बंद हो गया है।”
इसके साथ ही एक ट्रैवल एजेंट ने बताया कि “मैं हाल ही में हुए आतंकी हमले से प्रभावित जम्मू कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां आया हूं। हमें पूरा भरोसा है कि यहां आने के बाद, हमारे पास कई ट्रैवल एजेंट एसोसिएशन के लगभग 300 सदस्य होंगे और वे ये खबर फैलाएंगे कि कश्मीर सुरक्षित है और आप देखेंगे कि पहले की तुलना में यहां पर्यटकों की संख्या और भी अधिक होगी।”
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ट्रैवल एजेंट के अध्यक्ष हिना शिराज ने बताया कि “आज कश्मीर आने का मेरा मकसद पर्यटन को फिर से पटरी पर लाना है जो पिछले कुछ सालों से फल-फूल रहा था, लेकिन इस आतंकी हमले के कारण ये थम गया है। हम यहां “आतंकवाद से ऊपर पर्यटन” के नारे के साथ आए हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि हम सभी को यहां आना चाहिए क्योंकि अगर हम इसका समर्थन नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? कश्मीर हमारा है और हम कश्मीर के हैं।”