Srinagar: पहलगाम आतंकी हमले का असर हमारे बैंक पर नहीं पड़ेगा- बैंक सीईओ अमिताव चटर्जी

Srinagar: जम्मू-कश्मीर बैंक के एमडी और सीईओ अमिताव चटर्जी ने कहा कि पहलगाम हमले का असर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है, लेकिन उनके बैंक पर इसका ज्यादा नहीं पड़ेगा, क्योंकि पर्यटन उद्योग में बैंक का निवेश कुल पोर्टफोलियो का करीब एक फीसदी ही है। इस आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी।

उन्होंने कहा, “यह समझदारी की बात है कि हमने पहले ही ये आकलन कर लिया है, इसका एक हिस्सा सीदा असर है। जम्मू कश्मीर में पर्यटन उद्योग से जुड़ा कुल निवेश हमारे कुल पोर्टफोलियो का केव एक फीसदी है, चटर्जी ने कहा कि “सीधा असर नाममात्र का होगा, भले ही वो हो।”

उन्होंने कहा कि पहले भी देखा गया है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में लोग आमतौर पर अपने कर्ज पर डिफॉल्ट नहीं करना चाहते हैं। जम्मू कश्मीर बैंक ने बताया कि 2024-25 की जनवरी-मार्च तिमाही में उसका शुद्ध लाभ आठ प्रतिशत से ज्यादा घटकर 584.54 करोड़ रुपये रह गया, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में ये 638.67 करोड़ रुपये था।

बैंक की तरफ से एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, क्रमिक आधार पर वित्त वर्ष 2024-25 की पिछली दिसंबर तिमाही के 531.51 करोड़ रुपये की तुलना में इसका शुद्ध लाभ 10 प्रतिशत बढ़ा है।

बैंक के एमडी और सीईओ अमिताव चटर्जी ने कहा कि “यह समझदारी की बात है कि हमने पहले ही ये आकलन कर लिया है। इसका एक हिस्सा सीधा असर है। जम्मू कश्मीर में पर्यटन उद्योग से जुड़ा कुल खतरा हमारे कुल पोर्टफोलियो का केवल एक प्रतिशत है। सीधा असर नाममात्र का होगा, भले ही वो हो। हमने पहले भी ऐसा होते देखा है और इसका असर बहुत ज्यादा नहीं रहा है। उन दिनों में, जब पर्यटन इस भूगोल की अर्थव्यवस्था को इतना प्रभावित नहीं कर रहा था, तब हमारे यहां तनाव का उच्चतम स्तर 14 प्रतिशत था। और दो से तीन साल के अंदर ये घटकर दो से तीन प्रतिशत रह गया। तो, मुझे नहीं लगता कि इसका कोई सीधा असर होगा, भले ही वो हो। ये अर्थव्यवस्था के लिए हो सकता है।”

इसके साथ ही कहा कि “दूसरे तरह के असर के लिए, हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि इसका जम्मू कश्मीर की पूरी अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ने वाला है। इसका असर कुछ और क्षेत्रों पर भी पड़ सकता है, जिसका असर बैंक पर भी पड़ सकता है। जैसा कि मैंने पहले कहा कि इस क्षेत्र में कुल एनपीए बहुत कम है। इसलिए मेरा मानना ​​है कि इस क्षेत्र के नागरिकों की तरफ से दिखाया गया लचीलापन और कर्ज चुकाने की प्रवृत्ति बहुत ज्यादा है। आम लोग डिफॉल्ट नहीं करना चाहते।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *