Srinagar: अंतर्राष्ट्रीय फेरन दिवस के मौके पर कश्मीरियों की पारंपरिक पोशाक को बढ़ावा देने के लिए श्रीनगर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, कार्यक्रम के मुख्य आकर्षणों में से एक फैशन शो था जिसमें 40 मॉडलों ने हिस्सा लिया। उन्होंने फेरन के 60 अलग-अलग मशहूर डिजाइन और रंगों का प्रदर्शन किया।
आयोजकों के मुताबिक कार्यक्रम का लक्ष्य फेरन पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना और ये सुनिश्चित करना था कि इसकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे।
कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले मॉडलों ने इलाके की पारंपरिक पोशाक पहनने पर खुशी जताई। फैशन शो के अलावा, कार्यक्रम में लाइव संगीत और डांस शो भी हुए। अंतर्राष्ट्रीय फेरन दिवस, हर साल 21 दिसंबर को मनाया जाता है। इसे कश्मीर में पड़ने वाली सबसे ज्यादा सर्दी यानी 40 दिनों की अवधि चिल्ला-ए-कलां की शुरुआत के मौके पर मनाया जाता है।
आयोजक कामरान बशीर ने बताया कि “इवेंट का मकसद यही है हमारा कि जो हमारा अपना फेरन है, कल्चर है हमारा इसे इंटरनेशनली रिप्रेजेंट करना चाहते हैं। ये पिछले तीन साल से हम 21 दिसंबर को हम सेलिब्रेट कर रहे हैं। 21 दिसंबर को चिल्ला-ए-कलां की शुरूआत होती है तो हम हमेशा इस दिन को इंटरनेशनली सेलिब्रेट करते हैं। हम चाहते हैं कि हम अपने फेरन को रिप्रेजेंट करें, जो भी बाहर के लोग हैं, वो हमारे फेरन के बारे में जाने, कश्मीर के ट्रेडिशन के बारे में जाने, कल्चर के बारे में जाने। जैसे की अभी जो हमारे पुराने लोग हैं, वो शान से फेरन पहनते हैं। लेकिन जो आज की पीढ़ी है वो हिचकिचाती है फेरन पहनने से क्योंकि वो पूरा वेस्टर्न कल्चर की तरफ चले गए हैं।”
मॉडल सिमरन ने कहा कि “यह कार्यक्रम बहुत ही अच्छा हो गया, यहां तक की हम सब ने काफी अलग-अलग तरह फेरन पहने हैं, शॉल पहनी हैं। हमने अपने कल्चर को बहुत अच्छे से प्रमोट किया है। यहां जितने भी लड़के-लड़कियां हैं और बहुत सारे परिवार आए हैं, तो बहुत खुशी की बात है कि फेरन हमारी पहचान है और आज इंटरनेशनली बहुत सारे लोग जाने की हम फेरन डे मनाते भी हैं।”
“बहुत अच्छा फील हुआ, जो हम ये ड्रेस पहनते हैं। इससे हमारा यूथ अवेयर होता है कि ये फेरन होता क्या है, कल्चर है क्या, जो पशमीना शॉल है, वो है क्या? हम लोग बहुत बड़े ब्रांड को पहनते हैं लेकिन फेरन नहीं पहनते हैं। ये हमारा कल्चर है। जब हम ये पहनते हैं तो बहुत प्राउड फील होता है।”