Pahalgam Attack: जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम रिसॉर्ट क्षेत्र में स्थित बैसरन घास के मैदान, जो कुछ दिन पहले तक पर्यटकों से गुलजार रहते थे, अब वीरान पड़े हुए हैं। यह क्षेत्र अब एक खौफनाक मंजर का गवाह बना है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। 22 अप्रैल को हुए बड़े आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके बाद बैसरन और उसके आसपास के इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस ने इलाके में टट्टू संचालकों, टैक्सी चालकों, गाइडों और स्थानीय निवासियों का सत्यापन शुरू कर दिया है ताकि आतंकवादियों से जुड़े किसी भी संदिग्ध गतिविधि की पहचान की जा सके।
यह आतंकी हमला पहलगाम की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालने वाला साबित हुआ है, क्योंकि सैकड़ों परिवार जो पर्यटन उद्योग पर निर्भर थे, अब बेरोजगारी की कगार पर खड़े हैं। पहलगाम में टट्टू की सवारी कराने वाले संचालक, जिनका मुख्य व्यवसाय पर्यटकों की सवारी पर निर्भर था, अब अपने धंधे को ठप होते हुए देख रहे हैं। सुरक्षा कारणों से पर्यटकों की आवाजाही में भारी कमी आई है, जिससे इन परिवारों के सामने आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। स्थानीय लोग अब इस डर में जी रहे हैं कि वे अपनी रोजी-रोटी कैसे चलाएंगे। इस हमले के बाद, सरकार ने पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर सुरक्षा बलों की गश्त को और सख्त कर दिया है। सरकार का यह मानना है कि आतंकवादी हमलों में पाकिस्तान के किसी न किसी तत्व का हाथ हो सकता है। सरकार ने आतंकी हमले के बाद सुरक्षा उपायों को और कड़ा किया है, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को सुरक्षा का अहसास हो सके।
इस हमले ने जम्मू कश्मीर के पर्यटन उद्योग को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, खासकर उन व्यवसायों को जो पूरी तरह से पर्यटकों पर निर्भर हैं। पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा बढ़ाए जाने के बावजूद, स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का कहना है कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो उन्हें अपनी आजीविका के लिए अन्य रास्तों पर विचार करना पड़ेगा। इस हमले से जम्मू कश्मीर के पर्यटन उद्योग में स्थिरता लाने के लिए सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय समुदाय अब अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं।