Pahalgam Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद से अनंतनाग में पर्यटकों की कमी से टट्टू की सवारी कराने वालों को काफी नुकसान हो रहा है। दशकों से इसी काम को कर रहे टट्टू वालों का कहना है कि पहलगाम में 22 अप्रैल को जो हमला हुआ वैसा कभी नहीं हुआ। इस क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद जब चरम पर था तब भी इतना बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ था। अतंकी हमले के कारण अभी भी लोग काफी हताश और मायुस हैं।
पहलगाम का मुख्य बाजार 29 अप्रैल से आंशिक रूप से खुल गया, लेकिन आतंकी हमले के एक सप्ताह बाद भी शहर में बहुत कम पर्यटक आ रहे हैं। टट्टू वालों का कहना है कि जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक पर्यटकों की कमी की वजह से उन्हें अपना घर चलाने में काफी दिक्कत होगी। सभी करोबारी काफी मयूस है, और साथ ही सब कुछ पहले जैसे होने की कामना कर रहे हैं।
पोनी सेवा देने वाले मोहम्मद अयूब ने जानकारी देते हुए कहा, “हालात बिल्कुल इससे पहले ठीक थी। आज हालात खराब हो गया। 90 से अगर यहां जम्मू कश्मीर में मिलिटेंसी हुई। मगर इधर पहलगाम का इलाका बिल्कुल ठीक-ठाक था आज तक। ना यहां का कोई दहशतगर्द था, ना कोई। हालात भी बिल्कुल ठीक थी। हम काम भी अच्छे करते थे। तो आज पता नहीं क्या हुआ। हम भी परेशान हैं। हम मजम्मत करते हैं इसकी। हम बहुत परेशान हैं, क्योंकि हमारी रोटी यही था। हम हिन्दुस्तानी आदमी हैं। टूरिस्ट से ही काम चलता था हर एक का, हर एक मजदूर काम करता था, हर एक काम करता था। काम चलता था। अब तो दो दिन हो गए परेशान हैं हम। पता नहीं ये कैसा हो गया है, क्या हुआ है, कोई मालूम ही नहीं लगता है।”