Pahalgam Attack: घुमंतु सारा जी जम्मू कश्मीर में पहलगाम के बैसरन के पास एक गांव में रहती हैं। उनके पूरे समुदाय की रोजी-रोटी सैलानियों की बदौलत चलती है। यहां आतंकी हमले के बाद सैलानियों में हड़बड़ी मच गई। वे जल्द से जल्द यहां से जाना चाहते थे। ये स्थानीय व्यापारियों के लिए भारी झटका है। घुमंतु समुदाय के ज्यादातर लोग खेती और पशुपालन करते हैं। ये लोग आसपास के दुकानों में अनाज और डेयरी उत्पाद बेच कर कमाई करते हैं।
इसके अलावा सैलानियों की जरूरतें पूरी करके आमदनी होती है। आतंकी हमले के बाद वे भौंचक्के हैं। इस मौसम में जहां सैलानियों की भरमार हुआ करती थी, हमले के बाद वहां वीरानी है। इसके साथ ही घुमंतु समुदाय की आमदनी भी ठप पड़ गई है। पूरा समुदाय सकते में है। पर्यटन पहलगाम की अर्थव्यवस्था की बुनियाद है। इस समुदाय में ज्यादातर घुमंतु हैं।
ये समुदाय सैलानियों की जरूरतें पूरी करता है। इसी की बदौलत उनका घर-बार चलता है। सैलानियों के जाने से उनके सामने सबसे बड़ा सवाल घर की रोजी-रोटी और पशुओं के दाना-पानी का बंदोबस्त करना है। बैसरन में ही आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या की थी। इनमें ज्यादातर देश भर से आए सैलानी थे। वे कश्मीर घाटी में अपनी छुट्टियां बिताने आए थे। इस वारदात के बाद कई सैलानियों ने जम्मू कश्मीर में अपनी छुट्टियां रद्द कर दीं। कई एडवांस बुकिंग करने वालों ने भी कश्मीर घूमने की योजना खारिज कर दी। आतंकी हमले से पूरा देश सकते में हैं। दुनिया भर में इस हमले की निंदा हो रही है।