Jammu-Kashmir: जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के दूरदराज गांव चिशोटी में बादल फटने की भयावह घटना के पांचवें दिन भी राहत और बचाव कार्य जारी है। खराब मौसम और लगातार बारिश के बावजूद राहतकर्मी मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि बारिश में भी रेनकोट पहनकर बचाव दल के सदस्य कई स्थानों पर काम कर रहे हैं, खासकर उस जगह पर जहां लंगर (सामुदायिक रसोई) था। टीमों के साथ भारी मशीनें, अर्थमूवर्स और स्निफर डॉग्स भी लगाए गए हैं।
14 अगस्त को चिशोटी गांव में बादल फटा था, जिससे भारी तबाही हुई। इस हादसे में अब तक 61 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें तीन सीआईएसएफ जवान और एक एसपीओ (विशेष पुलिस अधिकारी) भी शामिल हैं। 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जबकि करीब 50 लोग अभी भी लापता हैं। बाढ़ के कारण एक अस्थायी बाज़ार और लंगर स्थल पूरी तरह तबाह हो गया, 16 घर, कई सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्कियां, एक 30 मीटर लंबा पुल और दर्जनों वाहन बर्बाद हो गए।
रविवार को सेना के इंजीनियरों ने चिशोटी नाले पर बैली ब्रिज बनाकर गांव और मचैल माता मंदिर को जोड़ने वाली कड़ी बहाल की। सेना ने ऑल-टेरेन वाहन भी भेजे हैं, जिससे राहत और बचाव कार्य में तेजी आ सके। पिछले दो दिनों में बड़े-बड़े पत्थरों को हटाने के लिए करीब छह नियंत्रित विस्फोट भी किए गए।
25 जुलाई से शुरू हुई मचैल माता यात्रा, जो 5 सितंबर तक चलनी थी, पांचवें दिन भी स्थगित रही। चिशोटी गांव से शुरू होने वाली इस यात्रा में श्रद्धालुओं को 8.5 किलोमीटर का ट्रैक तय करना होता है, जो लगभग 9500 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक जाता है।
इस बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन में पुलिस, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सीआईएसएफ, बीआरओ, प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवक लगे हुए हैं। एनडीआरएफ की डॉग स्क्वाड टीम भी मौके पर तैनात है और 12 से ज्यादा अर्थमूवर्स और भारी मशीनों से मलबा हटाया जा रहा है।
सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने बताया, “बारिश के बावजूद हम लापता लोगों के शवों को तलाशने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। मौसम चुनौतीपूर्ण है लेकिन हमारी कोशिशें जारी हैं।” हालात अभी भी गंभीर हैं, लेकिन राहतकर्मी हर संभव कोशिश में जुटे हैं ताकि लापता लोगों को जल्द से जल्द ढूंढा जा सके और स्थानीय लोगों को ज़रूरी मदद पहुंचाई जा सके।