Jammu Kashmir: जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बिश्नाह में ये लोग मिट्टी के बर्तनों को बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ये बर्तन बेचने के लिए तैयार किए जा रहे हैं क्योंकि गर्मी में मिट्टी के बर्तनों की मांग काफी बढ़ जाती है। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले ये कारीगर चाहते हैं कि लोग ठंडे पानी के लिए इनका इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें। इनका मानना है कि इससे मिट्टी के बर्तनों को बनाने की कला भी जिंदा रहेगी।
कुछ महिला स्वयं सहायता समूहों ने इन मिट्टी के बर्तन बनाने वालों के साथ हाथ मिलाया है। ये महिलाएं ठंडे पानी के लिए इन पर्यावरण-अनुकूल और किफायती विकल्पों को बढ़ावा दे रही हैं।
हाल ही में मौसम विभाग ने इस बार तेज गर्मी पड़ने की आशंका जताई है। ऐसे में बर्तन बनाने वालों का कहना है कि उनके पारंपरिक मिट्टी के बर्तन ठंडक देने में मददगार साबित होंगे।
मिट्टी के बर्तन बनाने वाले पुरुष ने बताया, “मिट्टी के बर्तन बनाके मार्केट में बेच रहे हैं तो मिट्टी के बर्तनों में पानी पीएं और बीमारियों से बचें। मिट्टी के बर्तनों में पानी पीने का बहुत फायदा है। इसमें जो मिट्टी में हमने रेता डाला होता है, तो जो मटका बनाते हैं ना जिसमें रेत डाला होता है, उसमें रेत डालके मटके का पानी ठंडा रहता है जो उस मटके का पानी पीएगा उसको ना तो गैस होगी, ना कोई और बीमारी लगेगी और ज्यादा प्यास भी नहीं लगती, एक बार पानी पी लो तो आदमी का दिल भर जाता है। जो फ्रिज का पानी पीता है वो बार-बार पानी पीने का दिल करता है।”
मिट्टी के बर्तन बनाने वाली महिला ने कहा,”हम सभी से रिक्वेस्ट करते हैं कि जो मिट्टी के घड़े हैं, ये इतने सुंदर हमारे गांव सुल्तानपुर में बनाए जा रहे हैं। हमारे सेल्फ हेल्प ग्रुप की लेडीज बना रही हैं। हम चाहते हैं कि हम सब पहले ये डिसिजन लें कि हम सब लोग इसी घड़े से पानी पीएं। फ्रिज जो है एक तो बिजली की समस्या रहती है, दूसरा बिजली के इतने बिल आते हैं और तीसरा ये देखिए कि घड़े के पानी से हमें कोई नुकसान नहीं है। फ्रिज के पानी से हमें नुकसान भी हो रहा है और घड़े के पानी से बहुत फायदा हो रहा है।”
“ये आज के टाइमें में तो बहुत ही जरूरी है जैसे-जैसे बीमारियां आजकल छोटे-छोटे बच्चों को लग रही हैं फ्रिज का ठंडा पानी हमारे जो बच्चे आते हैं वो पीते हैं, मैं समझती हूं कि मिट्टी के जो बर्तन हैं, हम अपने पुराने बुजुर्गों से सुनते आ रहे थे कि इसके बहुत सारे फायदे हैं, तो आज हमें भी पता चल रहा है कुछ हद इसका बहुत ही फायदा है क्योंकि हम खुद इस्तेमाल कर रहे हैं।”