Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश की आरक्षण नीति का विरोध कर रहे छात्रों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति छह महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। छात्र नेताओं ने यह जानकारी दी।
विद्यार्थी अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधान निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में लागू की गई आरक्षण नीति का विरोध कर रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और श्रीनगर से लोकसभा सांसद आगा रूहुल्ला मेहदी ने जम्मू कश्मीर में आरक्षण को तर्कसंगत बनाने की मांग के समर्थन में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया।
एक छात्र नेता ने बताया, “हमने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और आरक्षण के मुद्दे पर करीब 30 मिनट तक चर्चा की। चर्चा का सार ये था कि मुख्यमंत्री ने उप-समिति को अपना काम पूरा करने के लिए छह महीने का समय मांगा है।”
उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर कहा कि विद्यार्थियों के साथ संवाद का ये रास्ता बिना किसी मध्यस्थ के खुला रहेगा।
उमर अब्दुल्ला ने ‘X’ पोस्ट में कहा, “आज (सोमवार) मैंने ‘ओपन मेरिट स्टूडेंट्स एसोसिएशन’ के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। लोकतंत्र की खूबसूरती आपसी सहयोग की भावना से सुनने और संवाद करने का अधिकार है। मैंने उनसे कुछ अनुरोध किए हैं और उन्हें कई आश्वासन दिए हैं।”
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में पहाड़ी भाषी लोगों को आरक्षण दिए जाने के साथ ही सामान्य श्रेणी की सीट घटकर मात्र 30 फीसदी रह गई हैं जबकि 70 फीसदी सीट अलग-अलग समुदायों के लिए आरक्षित हैं। चिकित्सा और शल्य चिकित्सा का प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थियों सहित कई पाठ्यक्रमों के छात्र इस नीति का विरोध कर रहे हैं।
बारामूला से लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) नेता वहीद पारा और इल्तिजा मुफ्ती समेत कई नेताओं ने एनसी नेता द्वारा अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के फैसले का समर्थन किया।
अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने भी आरक्षण को “तर्कसंगत” बनाने की मांग की है। मीरवाइज ने ‘X’ पर एक पोस्ट में कहा कि आरक्षण के मुद्दे को जिम्मेदार लोगों द्वारा न्याय और निष्पक्षता के साथ हल किया जाना चाहिए और समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।
मीरवाइज ने कहा कि अगर अधिकारियों द्वारा अनुमति दी जाती है तो वे भी विरोध प्रदर्शन का हिस्सा होंगे। आवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक शेख खुर्शीद और मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी भी छात्रों की मागों का समर्थन किया।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी सरकार ने आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए एक मंत्रिमंडल की एक उप-समिति गठित की है, लेकिन वो इस मामले में अदालत के निर्देशों का पालन करेगी।